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________________ उपर्युक्त विवेचन से पुनर्जन्म और पूर्वभव की मान्यता की पुष्टि हो जाती है । यह पुष्टि 'आत्मवाद' के सिद्धात की स्वीकृति पर ही निर्भर है । यदि अात्मा है तो पुनर्जन्म और परलोक भी है। इस प्रकार भारतीय और पाश्चात्य विद्वानो की मान्यताओं और धारणाग्रो से आत्मा के परलोक-गमन एव परलोक से पृथ्वी पर आगमन का सिद्धात स्पप्ट है। भगवान महावीर के जीव की माता त्रिशला के गर्भ मे आने की घटना से पूर्व की साधना एक विस्तृत जीवन-परम्परा से सम्बद्ध है। उन्होने अनेक जन्मो मे सतत विशुद्ध भाव से प्रात्म-सावना की। पुण्य-अनुष्ठान किए, अनेक वार श्रमणत्व की दीक्षा ग्रहण की, सम्यक्त्व का स्पर्ग किया तथा तीर्थ धर गोत्र वावकर २६ वें जन्म मे देवलोक से अवतरित होकर माता त्रिशला के गर्भ मे पहुचे । शास्त्रो मे उनके इस जन्म से पूर्व के कई जन्मो का उल्लेख मिलता है, परन्तु विस्तार-भय १- १. वलाधिक अथवा नयमार नामक राज्याधिकारी । २. मोधर्म नामक देवलोक के देवता । ३.भगवान ऋषभदेव के पोन मरीचि । ४ ब्रह्मलोक में देवता। ५. कोल्लाक सनिवेश मे कौशिक ब्राह्मण। ६. थूणा नगरी में पुष्यमिन्न नामक ब्राह्मण । ७ मौधर्म देवलोक के देवता । ८ चैत्य सनिवेश नगर में अग्निद्योत नामक ब्राह्मण। ९. ईशान देवलोक मे देवता । १०. सनिवेश नगर में अग्निभूति ब्राह्मण । ११. मनत्कुमार देवलोक के देवता। १२. श्वेताम्विका नगरी मे भारद्वाज नामक ब्राह्मण। १३. माहेन्द्र देवलोक के देवता । १४ राजगृह नगर में स्थविर ब्राह्मण । १५. ब्रह्मदेवलोक मे देवता। १६. राजगृह नगर मे विश्वभूति राजकुमार । १७ शुक्र कल्पलोक के देवता । १८ पोतनपुर मे त्रिपृष्ठ नामक वासुदेव । १९ नरयिक जीवन । २०. सिंह-जन्म । २१ नरयिक जीवन ! २२ पोट्टल नरेश (विशेष विवरण उपलब्ध नहीं) २३ काकदी नगरी मे प्रियमिन्न चश्वर्ती। २४. महाशुक्र कल्पनामक देवलोक मे मर्थिनामक विमान के देवता। २५ छना नगरी में नन्दन नामक रानकुमार । २६ प्राणतक्ल्प नामक देवलोक के पुष्पोत्तर विमान मे देवता । २७ वर्धमान ' महावीर (मोक्ष के अनन्तर जन्म-मरण की परम्परा समाप्त हुई) [ च्यवनकल्याणक
SR No.010168
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Kalyanaka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakdhar Shastri
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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