________________
२. अग्निभूति
अग्निभूति, इन्द्रभूति गौतम के मझले भाई थे। छयालीस वर्ष की अवस्था मे अपने पाचसो छात्रो के साथ दीक्षा ग्रहण को । वारह वर्ष तक छद्मस्थावस्था मे सयम- पालन कर केवलज्ञान प्राप्त किया । सोलह वर्ष तक केवली अवस्था में विचरण कर भगवान महावीर के निर्वाण से दो वर्ष पूर्व राजगृह के गुणशील चैत्य में मासिक अनशन कर चौहत्तर वर्ष की अवस्था मे निर्वाण को प्राप्त हुए ।
३. वायुभूति
ad
ये इन्द्रभूति के लघु भ्राता थे । बयालीस वर्ष की अवस्था मे गृहवास को त्याग कर श्रमण-धर्म स्वीकार किया था। दस वर्ष छद्मस्थावस्था मे रहे । श्रठारह वर्ष केवली अवस्था मे रहे । इन्होने सत्तर वर्ष की अवस्था मे राजगृह के गुणशीलचैत्य में मासिक अनशन के साथ निर्वाण प्राप्त किया ।
४ श्रार्यव्यक्त
ये कोल्लागसन्निवेश के निवासी थे और भारद्वाज गोत्रीय ब्राह्मण थे । उनके पिता का नाम धनमित्र और माता का नाम वारुणी था । पचास वर्ष की अवस्था मे पाच सौ छात्रो के साथ श्रमण-धर्म स्वीकार किया । बारह वर्ष तक छद्मस्थावस्था मे रहे और अठारह वर्ष तक वेब्लीअवस्था, मे रह कर अस्सी वर्ष की अवस्था मे मासिक अनशन के साथ राजगृह के गुणशीलचैत्य मे निर्वाण को प्राप्त हुए ।
५. सुधर्मा
ये कोल्लागसनिवेश के निवासी अग्नि वैश्यायन गोत्रीय ब्राह्मण थे । इनके पिता धम्मिल थे और माता भद्दिला थी । पाच सौ छात्र इन के पास अध्ययन करते थे । पचास वर्ष की अवस्था मे शिष्यो के साथ प्रव्रज्या लो । बयालीस वर्ष पर्यन्त छद्मस्थावस्था मे रहे । महावीर के निर्वाण के वाद वारह वर्ष व्यतीत होने पर केवली हुए और आठ वर्ष तक केवली अवस्था मे रहे ।
१६८
[ गणधर परिचय