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________________ - और म० बुद्ध ] [ ७५. विषयमें कहते है कि ' इस समय रातके प्रथम प्रहरमे उन्होने अपने पूर्व जन्मोंके वृतान्तोंको जान लिया, मध्यरातमें उनकी दिव्य दृष्टि पवित्र होगई, और अंतिम प्रहर में कार्य कारणके सिद्धान्तकी तली तक पैठकर उन्होंने उसको जान लिया । ' इस कथन से हमारे उक्त अनुमानकी पुष्टि होती है । अवधिज्ञान द्वारा विचारकर किसी खास विषयकी परिस्थिति बतलाई जासक्ती है और अवधि - ज्ञानी अपने व किसीके भी पूर्वभव जान सक्ता है । इसप्रकार इसमें संशय नहीं कि म ० बुद्धको बोधिवृक्षके निकट अवधिज्ञानकी प्राप्ति हुई थी । इस तरह जब म ० बुद्धको साधारण ज्ञानसे कुछ अधिककी प्राप्ति हुई, जो कि उनके जीवनकी एक अलौकिक और प्रख्यात घटना है, तो उनके भक्तोंने उनकी 'तथागत' या 'बुद्ध' कहकर ख्याति प्रकट की । भगवान महावीरका भी उल्लेख इन नामोसे हुआ मिलता है, परन्तु उनकी जो 'तीर्थङ्कर' उपाधि थी, वह म० बुद्ध से बिल्कुल विलक्षण और सार्थक है । म० बुद्धके निकट उसका भाव विधर्मी मत प्रवर्तकका था । अस्तु । जब म ० बुद्धको 'सम्बोघी' की प्राप्ति हो चुकी तो उन्होंने उस समयसे धर्मप्रचार करना प्रारंभ नहीं किया था, उनको १. In the first watch of the night he recalled his former lives, in the middle watch he purified the eye celestial; in the last watch he sounded the depth of the knowledge of the Causal Law -- Psalms of the Sisters. P. 5. २. जैनसूत्र ( S. B. E) भाग १ भूमिका XX "
SR No.010165
Book TitleBhagavana Mahavira aur Mahatma Buddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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