________________
७२]
[ भगवान- महावीरपरिणामतः उनको बोधि-वृक्षके निकट उस 'मार्ग 'के दर्शन होगये, जिसकी वे खोनमें थे । बौद्ध शास्त्रोंका कथन है कि इस अवसरपरउनको पूर्ण ज्ञानकी प्राप्ति हुई थी और वे 'तथागत' होगये थे।' बौद्धोंके इस कथनमें कितना तथ्य है, यह हम उन्हीके शास्त्रोंसे देखेंगे।
म. बुद्ध तथागत होगये, परन्तु इस अवस्थामें भी वे उन सब प्रभोंका उत्तर नहीं देते थे, जो सैद्धांतिक विवेचनमें सर्वप्रथम अगाडी आते हैं और सामान्य लोगोंको एक गोरखधंधासा समझ पडते हैं। अतएव इन बातोंको ध्यानमें रखते हुए हम सहसा बौद्धोंकी उक्त मान्यताको स्वीकार नहीं कर सक्ते 'म बुद्धको 'वोधिवृक्ष के नीचे किसी प्रकारके उच्चज्ञानके दर्शन अवश्य हुये थे, परन्तु क्या वह पूर्ण ज्ञान (केवलज्ञान) था, यह-विचारणीय है। इसके लिये हम स्वयं कुछ न कहकर केवल बौद्धोंके मान्य औरप्राचीन ग्रंथ 'मिलिन्द-पन्ह के शब्द ही उपस्थिता करेंगे। यहां म० बुद्धके पूर्णज्ञान-(केवलज्ञान या सर्वज्ञता)के विषय में पूछे जानेपर बौद्धाचार्य-कहते हैं:___ "वह ज्ञानकी दृष्टि उनके निकट हर-समय नहीं रहती थी। भगवतकी सर्वज्ञता विचार करनेपर, अवलम्बित थी,.. और जब वह विचार करते थे तो वह उस बातको जान लेते थे, जिसको वह जानना चाहते थे।" ____ इसपर प्रश्नकर्ता राजा मिलिन्द उनसे कहते हैं किः
मिहावग्गं पृष्ट -७४ । ३ दी गयोलॉग्स भाँफबुद्ध-पोत्यपादसत (S: BB Vol. ii.' २४ भौरे कार्यको बुटिस्ट फिलासफी' पृष्ट ३६ और ।