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- और म० बुद्ध ]
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६ - 'वह ( उस भोजनको भी) नही लेता है ( यदि बता दिया जाय कि वह खासकर उसके लिये बनाया गया है) । '
६ - इसमें भी कारित अनुमोदना दोष प्रकट है । ७ - ' वह कोई निमंत्रण स्वीकार नहीं करता
७ - यहा भी उक्त दोष है, जैन मुनि निमंत्रण स्वीकार नहीं करते । ८ - ' वह नही लेगा ( भोजन जो उस वर्तनमें से निकाला गया होगा ) जिसमें वह रांधा गया हो
८ - यह ' स्थापित या न्यस्त' दोष है ।
९ - ( वह भोजन ) नहीं (लेगा ) आंगनमें से ( कि शायद वह वहां खासकर उसके लिये ही रक्खा हो) '
१०- ( वह भोजन) नहीं (लेगा ) जो लकडियों के दरमियान रक्खा गया हो ।'
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९-१०. प्रादुष्कर दोष है ।
११ - ( वह भोजन ) नही (लेगा) जो सिलवट्टे के दरमियान रक्खा हो । ११ - यहां 'उन्मिश्र अशन दोष' का भाव है ।
१२ - जब दो व्यक्ति साथ२ भोजन करते हैं तो वह नही लेगा केवल एक ही देगा ।
१२ - यह अनीश्वर व्यक्ताव्यक्त अनीशार्थ दोषका रूपान्तर है । १३ - ' वह दूध पिलाती हुई स्त्रीसे भोजन नहीं लेगा.... ।' १४ - ' वह पुरुषके सग रमण करती हुई स्त्री से भोजन नही लेगा।' १३-१४ - यह दायक अशनदोषके भेद हैं ।
१९ - ' वह
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भोजन नहीं लेगा (जो अकालके समय ) एकत्रित किया गया हो ।'
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