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________________ -और म० बुद्ध ] [३३ वह सन्तुतुसित हैं तो वे सब इनके पास जाकर बुद्धपदको धारण करनेके लिए कहने लगे । इसपर बुद्धने वहां 'पंच महाविलोकन' किये अर्थात् इन पांच बातोंको जाना कि (१) उस समय मनुष्यकी आयु १०० वर्षकी थी, जो बुद्धपदके लिए उपयुक्त काल था, (२) बुद्ध जम्बूद्वीपमें जन्म लेते है, (३) मध्य मण्डल अथवा मगधका प्रदेश उत्तम क्षेत्र है, x (४) उस समय क्षत्रिय वर्ण प्रधान था, इसलिए उसमे जन्म लेना उचित है, (९) और राजा शुद्धोदनकी रानी महामायाके मृत्यु दिवससे ३०७ दिन पहिले उनके गर्भमे उनको पहुच जाना चाहिये । इस तरह इन पांच बातोंको जानकर उनने नियत समयमे राजा शुद्धोदनकी रानी महामायाके गर्भ में पदार्पण किया और फिर उनका जन्म हुआ, यह हम ऊपर देख चुके हैं। भगवान महावीरने तीर्थकर पद प्राप्त करनेके लिए वैसा कोई निदान नही वाधा था जैसा कि म० बुद्धको करना पड़ा था। हां, यह अवश्य है कि जैनधर्ममे भी खास भावनायें और विशेष गुण तीर्थकर पद प्राप्त करनेके लिए आवश्यक बतलाये गये है। इन खास भावनाओ और गुणोके आराधनसे उस पुरुषके ' तीर्थकर नामकर्म ' नामक कर्मका बंध होता है, जिससे वह स्वभावतः उस परमपदको प्राप्त करता है। श्री तत्वार्थसूत्रनीमें इस सम्बन्धमें यही कहा गया है। यथाः x जैन शास्त्रोंमें भी तीर्थकरोंकी जन्मभूमिया गंगा और जमुनाके मध्य प्रदेशमें ही बताई गई है, किन्तु उनका यह कथन है कि तीर्थकर सदैव क्षत्रीय वंशम ही जन्म लेते हैं ।
SR No.010165
Book TitleBhagavana Mahavira aur Mahatma Buddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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