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[ भगवान महावोर
साथ २ बुद्ध पदको पानेके लिए निम्नके आठ गुण भी उसे व्यक्ति में होना आवश्यक है: - (१) वह मनुष्य होना चाहिये, न कि देव । इसी लिये बोधिसत् (बुद्धपद पानेका इच्छुक ) दस शील त्रतोंको पालन करते हैं कि उसके फल स्वरूप वह मनुष्यका जन्म धारण करें, (२) वह पुरुष होना चाहिये, न कि स्त्री: * (३) उनका पुण्य इतना प्रबल होना चाहिये, जिससे वे अर्हत् हो सकें: (४) यह अवसर भी उसको मिल चुका हो जिसमें उसने एक परमोत्कृष्ट बुद्धकी उपासना की हो और उनमें पूर्ण श्रद्धा रक्खी हो; (५) विरक्त- गृहत्याग अवस्थामें रहना आवश्यक है, (६) ध्यान आदि क्रियायोंके साधन से प्राप्त फलका वह अधिकारी होना चाहिए, (७) उसे विश्वास होना चाहिए कि जिस वुद्धसे वह बातचीत (Communicates) करता है वह शोकसे परे है और वह स्वयं उस दशाको प्राप्त होगा, (८) और उसे बुद्ध पद प्राप्तिके निमित्त दृढ निश्चय करना चाहिए। इन आठ गुणोको भी गौतमबुद्धने प्राप्त किया था । इसी कारण वह बुद्धपदके अधिकारी हुये थे । (Haidy's Maunal of Buddhism, P. P. 101-106). अपने वेस्सन्तरभवसे वह देवलोकके तुसित विमानमे सन्तुतुसित नामक देव हुये थे । वहां वह बड़ी विभूति सहित १७ कोटि ६० लाख वर्ष तक रहे थे, यह बौद्ध शास्त्र प्रगट करते है । इस अंतरालके अन्त में जब देवोंने जाना कि एक बुद्धका जन्म होगा और
* दिगम्बर जैन शास्त्र भी तीर्थ करपदके लिये पुरुषलिंग ही आवश्यक " बतलाते हैं। हां, श्वतावर स्त्रियोंको भी इस पदका अधिकारी प्रगट करते हैं, परन्तु उनकी इस मान्यताका निर्सन दि० शांखों में उचित रीति से किया हुआ मिलता है। बौद्धोंकी उक्त मान्यता भी दिव्मतकी पोषक है ।