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________________ १२] [ भगवान महावोर · 'सम्राट् श्रेणिकके साथ राजा चेटक अपनी कन्याका विवाह नहीं करेंगे' यह संभावना जैन शास्त्रों में की गई है । यद्यपि वहां इसका कारण राजा चेटकका जैनत्व और सम्राट् श्रेणिकका वौद्धत्व बतलाया गया है । ' इसमें भी संशय नहीं है कि राजा चेटक जैन धर्मानुयायी थे, परन्तु इससे वैशालीमें उक्त प्रकार नियम होने में कोई बाधा उपस्थित नही होती । वस्तुत' वैशाली, जहा जैनधर्मका प्रचार प्रारम्भसे अधिक था, यदि अपनी सामाजिक परिस्थितिको नये सुधारके प्रचलित रिवाजोंसे कुछ विलक्षण रखने में गर्व करे तो कोई आश्चर्य नहीं, क्योंकि यह हमको ज्ञात ही है कि लिच्छविगण बडे स्वात्माभिमानी थे और वह अपने उच्चवंशी जन्मके कारण सारी समाजमें अपना सिर ऊचा रखते थे । किन्तु इससे भी उस समय की सामाजिक क्रांतिके अस्तित्वका समर्थन होता है, जिसके विषयमें प्राच्य विद्या महार्णव स्व० मि० हीसडेविड्स भी लिखते है कि उस समय: --- "ऊपरके तीन वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्री, वैश्य) तो वास्तव मूलमे एक ही थे, क्योकि राजा, सरदार और विप्रादि तीसरे वर्ण वैश्यके ही सदस्य थे, जिन्होने अपनेको उच्च सामाजिक पदपर स्थापित कर लिया था । वस्तुतः ऐसे परिवर्तन होना जरा कठिन थे परन्तु ऐसे परिवर्तनोका होना संभव था । गरीब मनुष्य राजा - सरदार (Nobles) वन सक्ते थे और फिर दोनो ही ब्राह्मण होसते थे । ऐसे परिवर्तनोंके अनेकों उदाहरण ग्रन्थोंमे मिलते है । • .... १ देखो 'श्रेणिकचरित्र' । २ देखो 'दी क्षत्रिय फैन्स इन बुद्धिष्ट इडिया ' . पृष्ठ ८२ ।
SR No.010165
Book TitleBhagavana Mahavira aur Mahatma Buddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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