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-और म० वुद्ध]
व्यवस्थापक सभा 'वज्जियन राजसंघ' कहलाती थी। उस समय इन लोगोकी शक्ति विशेष प्रबल थी। यहातक कि मगधाधिपति भी सहसा इनपर आक्रमण नहीं कर सके थे; बल्कि पहले तो स्वय चेटकने एकदफे जाकर राजगृहका घेरा डाल दिया था। और अन्तत. राजा श्रेणिक और चेटकमे समझौता होगया था।'
(२) शाक्य गणराज्य-इसकी रानधानी कपिलवस्तु थी और यहाके प्रधान राजा शुद्धोदन थे । यही म० बुद्धके पिता थे । बुद्धकी जन्मनगरी यही थी। इनकी भी सत्ता उस समय अच्छी थी।
(३) मल्ल गणराज्यमें मल्लवंशीय क्षत्रियोंकी प्रधानता थी। बौद्ध ग्रन्थोंसे पता चलता है कि यह दो भागोमे विभानित था। कुसीनारा जिस भागकी राजधानी थी उससे म० बुद्धका सम्बध विशेष रहा था और दूसरे भागकी राजधानी पावा थी, जहांसे भगवान महावीरने निर्वाण लाभ किया था। श्वेताम्बरियोके 'कल्पसूत्र' में यहाँके प्रधान राजा हस्तिपाल और नौ प्रतिनिधि राजाबतलाये गये हैं।
(४) कोल्यि गणराज्य था । इसकी राजधानी रामगांम थी और इसमें कोल्यि जातिके क्षत्रियोका प्रावल्य था।
शेषमें सुन्समार पर्वतका भग्ग गणराज्य, अल्लकप्पके बुलिगण, पिप्पलिवनके मोरीयगण आदि अन्य कई छोटे मोटे गणराज्य भी थे जिनका विशेष वर्णन कुछ ज्ञात नहीं है । इनके अतिरिक्त दूसरी प्रकारकी राज्यव्यवस्था खाधीन राजाओंकी थी। इनमें विशेष प्रख्यात प्रजाधीश निम्नप्रकार थे:
(१) मगध-के सम्राट् श्रेणिक विम्बसार । इनकी राजधानी १. देखो वर्तमान लेखकका 'भगवान महावीर' पृष्ट १४।।