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________________ ८] [ भगवान महावीरराजगृह थी । यह पहले बौद्ध थे, परन्तु उपरात रानी चेलनीके प्रयत्नसे जैनधर्मानुयायी हुए थे। (२) उत्तरीय कौशल-काराज्य मगधसे उत्तर पश्चिमकी ओर था, जिसकी राजधानी श्रावस्ती थी। यहांके राजा पहले अग्निदत्त (पसेनदी) थे। उपरांत उनके पुत्र विदुदाम राज्याधिकारी हुए थे। (३) कौशलसे दक्षिणकी ओर वत्स राज्य था और उसकी राज्यधानी कोशाम्बी यमुना किनारे थी। यहांके राजा उदेन (उदायन) थे, जिनके पिताका नाम परन्तप, बौद्ध शास्त्रोंमें बतलाया गया है। जैन शास्त्रोंमें जो राजा उदायन अपने सम्यक्त्वके लिये प्रसिद्ध हैं, वह इनसे भिन्न है। श्वे० शास्त्रोंमे इनके पिताका नाम शतानीक बतलाया है । तथापि यही नाम दि० सम्प्रदायके उत्तरपुराणमें भी बतलाया गया है।* (४) इससे दक्षिणकी ओर अवन्तीका राज्य स्थित था, जिसकी राजधानी उज्जयनी थी, और यहाके राजा चन्द्रप्रद्योत विशेष प्रख्यात थे। जैन शास्त्रोंमें इनके विषयमें भी प्रचुर विवरण मिलता है। (५) कलिङ्गके राजा नितशत्रु थे और यह भगवान महावीरके फूफा थे। (६) अन पहले दधिवाहन रानाके आधीन स्वतंत्र राज्य था; परन्तु उपरात मगधाधिपके आधीन होगया था और यहांके राजा कणिक अजातशत्रु हुये थे, जो सम्राट् श्रेणिकके पुत्र थे। १ देखो हमारा 'भगवान महावीर पृष्ट १४२-१४८ । २ बुद्धिस्ट इडिया पृष्ठ । 3 एन इपीटोम ऑफ जैनीजम पृष्ठ ६५० । * उत्तर पुराण पृष्ठ ६३४ ।
SR No.010165
Book TitleBhagavana Mahavira aur Mahatma Buddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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