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-पार म० बुद्ध]
[२३३ सेनापति सीहने एक बैलका वध किया है और उसका आहार समण गौतमके लिये बनाया है । समण गौतम जानबूझकर कि यह वेल मेरे आहार निमित्त मारा गया है, पशुका मांस खाता है। इसलिए वही उस पशुके मारनेके लिए बधक है। हम अपने जीवनके लिये कभी भी जानबूझकर प्राणी वध नहीं करते हैं।" तथापि इसमें यह उल्लेख है कि जब सीह बौद्ध होगया तव म० बुद्धने उनसे कहा:___"For a long time, Siha, drink has been offered to tho Niganthos in your house. You should therefore decni it liglet (also ju tho future) to give them focd, when thoy como. ( to you on then ainaspingrimage ):-(Mahavagga VI. 31. II.)
भावार्थ-सीह । तुम्हारे यहां दीर्घकालसे निगन्योको पड़गाहा जाता रहा है इसलिए भविष्यमें भी तुम्हें उनको आहारदान देना चाहिये जब वे उसके निमित्त आवें। इस कथानकमें निस सीह अथवा सिंहका वर्णन है, उसका नामोल्लेख भी हमें जैन शास्त्रोंमें देखनेको नहीं मिला है। अलबत्ता दि. जैनशास्त्र 'उत्तरपुराण' में राजा चेटकके जो पुत्र बताए है उनमें एक 'सिहभद्र' भी है। संभव है, यही लिच्छवियोंके सेनापति हो, क्योंकि जब इनके पिता गणराज्यमें प्रधानपद पर आसीन थे तो उन्होंने स्वभावतः अपने पुत्रको ही सेनापति पदपर नियुक्त किया होगा किन्तु बौद्धशास्त्रमें इनके पिताके सम्बन्धमें कोई उल्लेख नहीं है, तथापि उक्त जैनशास्त्रमें भी इनके विषयमें सिवाय
१. उत्तरपुराण पृष्ठ ६३४ ।