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________________ - २००] [ भगवान महावारसमन (श्रमण ) गौतम (बुद्ध) मुझे उसी स्थानको प्राप्त करा देंगे, जिस स्थानपर सावक (श्रावक) अस्सनीने मुझे पहुंचाया है, तो मैं समन गौतमको बाद द्वारा उसी तरह परास्त करूंगा जिस तरह एक बलवान पुरुष बकरीको बालोंसे पकड़ लेता है और उसे निधर चाहता है उधर घुमाता है ।" यही नहीं सच्चकने उन सव उपायोको भी बतलाया जिनके द्वारा वह बुद्धको परास्त करेगा। कतिपय लिच्छवियोंने इसपर उससे पूछा कि 'समन गौतम निगन्थपुत्त सच्चकके प्रश्नोका उत्तर किस तरह देंगे अथवा वह किस तरह उनके प्रश्नोंका उत्तर देगा ? अन्योंने भी इसी तरह सञ्चकके विषयमें पूछा । अन्ततः सञ्चक अपने साथ पांचसौ लिच्छवियोंको बादमे ले जानेको सफलीभूत हुआ। वह वहां पहुंचा नहा भिक्षुकगण इधर उधर घूम रहे थे और उनसे कहा कि "हम गौतम महात्माके दर्शन करनेके इच्छुक हैं । उस समय बुद्ध महाक्नमें एक वृक्षके नीचे ध्यान करनेके लिये बैठे थे। निगन्थपुत्त सच्चक बहुतसे लिच्छवियोंके साथ उनके निकट पहुंचा और पारस्परिक अभिवादन करके जरा दूरीसे एक ओर बैठ गया। कतिपय लिच्छवियोंने बुद्धको प्रणाम किया, कतिपयने पारस्परिक मैत्रीवर्धक आभिवादन किये और किन्हींने हाथ जोडकर नमस्कार किया और वे एक ओर बैठ गए तथापि कतिपय प्रख्यात लिच्छवियोंने अपने और अपने कुलोंके नाम प्रकट करके एक ओर आसन ग्रहण किया, कतिपय विल्कुल मौन रहे और कुछ फासलेसे बैठ गए । उपरांत बुद्ध और सच्चकके मध्य संघों और गणों तथा बौद्धसिद्धांतके सम्बन्धमें वाट प्रारम्भ हुआ। सच्चक उसमें परास्त हुआ और बुद्धको अपने घर आहार ग्रहण
SR No.010165
Book TitleBhagavana Mahavira aur Mahatma Buddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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