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-और म० बुद्ध ]
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योग्यता प्राप्त नहीं थी। इसी कारण वे परम निग्रन्थ रूप धारण नहीं कर सक्तीं थी। उस समय-भगवान महावीरके शासनकी श्राविकायें विशेष ज्ञानवान और विदुषीं थीं। आज भारत हितके नाते 'प्रत्येक भारतीयको भगवानके इस दिव्य चरित्रसे शिक्षा लेना उत्तम है। भारतीय स्त्रियोकी दशा जिस समय ज्ञानवान और आदरमय होगी उसी समय हमारे जीवन भी उत्कृष्ट बनेंगे, तब ही धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, पुरुषार्थोकी सिद्धि होसक्ती है । म० बुद्धने भी गृहस्थ सुखके लिए स्त्रियोंको ज्ञानवान बनाना और उन्हें आदरकी 'दृष्टिसे देखना आवश्यक बतलाया था।
अन्ततः भगवान महावीरका जीवन उन युवकोंके लिये एक अनुकरणीय एवं आदर्श है जो उन्नति करके सत्कीर्तिका मुकुट अपने शीशपर रखना चाहते हैं। उन्हें अपने उद्देश्य प्राप्तिके लिए दृढ़प्रयत्न होना चाहिये । उद्देश्यमें श्रद्धान जमा लेना आवश्यक है। उद्देश्यहीन जीवन एक दुःखमय जीवन है। फिर इस उद्देश्यको क्रमवार-नियमित ढंगसे प्राप्त करना लाजमी है। धीरता और संतोषपूर्वक कर्तव्यपरायण रहना उसमें आवश्यक है। धीरे २ ही मनुष्य उन्नति कर सकता है। वह एकदम उन्नतिकी शिखिरपर नहीं पहुंच सका है । भगवान् महावीरने इसीप्रकार उन्नति करके निर्वाणपदको प्राप्त किया था। इसके विपरीत म० बुद्धने साधुके एक नियमित जीवनक्रमका अभ्यास नहीं किया था. जिसके कारण वे पूर्ण ज्ञानको प्राप्त करने में असमर्थ रहे थे। यद्यपि ध्येयमें उनका श्रद्धान भी . अटल था किन्तु उसकी आतुरताने उनको उससे वंचित रक्खा। फिर
भी उनको साधारण ज्ञानसे कुछ अधिककी प्राप्ति हुई हीथी। अस्तु,