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________________ -और म० बुद्ध ] [१५५ (६) तमप्रभा- , , अंधकार , और सर्द है। (७) महातमप्रभा-, , घोर अंधकार , , , इन सबमें भिन्नर संख्यामे ८४ लाख बड़े विले हैं, जिनमें नारकी जन्म लेते हैं। ___ म० बुद्धने सामान्यतया ८ नर्क बतलाये थे; यद्यपि इनके अतिरिक्त वह और बहुतसे छोटे नर्क बतलाते थे। शायद वह इन्ही आठके अन्तर्भाग हों। ये आठ इसप्रकार बताए गए हैं: (१) सज्जीव, (२) कालसूत्र, (३) सघात, (४) रौरव, (१) महारौरव, (६) तापन, (७) प्रतापन और (८) अवीची। उत्तरीय वौद्धोकी प्राचीन मानतामें इतने ही ठडे नर्क भी थे। इसतरह बौद्धोके नर्क सम्बन्धी विवरणमें बहुतसी बातें जैन धर्मसे मिलती जुलती है । वास्तवमे जैन धर्मसे बौद्ध धर्मकी जो सादृश्यता विशेष मिलती है वह म० बुद्धके प्रारभिक जैन विश्वासके कारण ही समझना चाहिए।म० वुद्धने एक माध्यमिकके तरीके उस समय प्रचलित प्रख्यात् मतोंमसे कुछ न कुछ अवश्य ही ग्रहण किया था । ब्राह्मणोंके स्वर्ग-नर्क सिद्धान्तोंसे भी किचित् सहशता बौद्ध मान्यताकी बैठती है। यही कारण है कि सर्व प्रकारके विश्वासोंवाले विविध पन्थ अनुयायियोको अपने धर्ममें लानेके लिये म० बुद्धने इसप्रकार क्रिया की थी, जिसके समक्ष उन्होने अपने सिद्धान्तोकी वैज्ञानिकता और औचित्यपर भी ध्यान नहीं दिया! किन्तु इस ओर उनके धर्मकी विशेष सहशता जैनधर्मसे वैठती है, जो ठीक भी है, क्योंकि हम देख चुके हैं, १. हेवन्म एण्ड हेल्स इन बुद्धिस्ट परस्पेकिन पृष्ट ६४. . '
SR No.010165
Book TitleBhagavana Mahavira aur Mahatma Buddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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