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- और म० बुद्ध ]
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(Material element ), संज्ञा, वेदना, संस्कार और विज्ञान । मनुष्यका वर्णन उसके उन भागोके वर्णन में किया गया है जिनसे वह बना है और उसकी समानता एक रथसे की है जो विविध अवयवोंका बना हुआ है और स्वयं उसका व्यक्तित्व कुछ नहीं है ।'' ।'' यह मानता वुद्धके उपरान्त उनकी हीनयान सम्प्रदायको अब भी मान्य है; किंतु महायान सम्प्रदाय इससे अगाडी बढकर पदार्थोंके अस्तित्वसे ही इन्कार करती है। उसके निकट सब शून्य है, यह उपरान्तका सुधार है । म० बुद्धके निकट तो अनित्यवाद ही मान्य था । इस अवस्थामें इस प्रश्नका संतोषजनक उत्तर पाना कठिन है कि जन्म किसका होता है ?
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म० बुद्धने प्रायः इस प्रश्नको अधूरा ही छोड दिया है । परन्तु जो कुछ उनने कहा है उसका भाव यही है कि एक व्यक्ति जन्म लेता है और यह व्यक्ति केवल पांच वस्तुओं का समुदाय है जिनको हम देख चुके । इससे यह व्यक्ति कोई सनातन नित्य पदार्थ नही माना जासक्ता । सत्ता तो वह है ही नहीं । जिस प्रकार सब अवयवोके पहिलेसे मौजूद रहनेके कारण शब्द ' रथ ' कहा जाता है वैसे ही जब उपरोल्लिखित पाच वस्तुयें एकत्रित हुई तब बुद्धने 'व्यक्ति' शब्दका उच्चारण किया । यह बौद्धोंकी मान्यता है ! और इससे हमारा प्रश्न हल नही होता, क्योकि जिन पांच स्कन्धोका समुदाय व्यक्ति बताया गया है वह उस व्यक्तिके साथ ही खतम हो जाते हैं ! अस्तु,
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१ इन्साइकोपेडिया आफ रिलीजन एण्ड इथिक्स भाग ९ पृ. ८४७. २ कान्फ्लुयेन्स आफ ओपोजिट्स पृ० १४७. ३ मिलिन्दपन्ह २1१1२.