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________________ -और म० बुद्ध [११७ यद्यपि यहांतकके विवेचनसे हम म० बुद्ध और भ० महा__ वीरके पारस्परिक जीवनसम्बन्धोंका दिग्दर्शन कर चुके हैं, परन्तु इससे दोनों युगप्रधान पुरुषोंने जो शिक्षा जनसाधारणको दी थी, __ उसका पूरा पता नहीं चलता है, इसलिए अगाडीके पृष्ठोमें हम जैनधर्म और बौद्धधर्मका भी सामान्य दिग्दर्शन करेंगे। भगवान महावीर और म० बुद्धका धर्म! म बुद्धने किस धर्मका निरूपण किया था, जब हम यह जाननेकी कोशिश करते हैं तो उनके जीवनक्रमपर ध्यान देनेसे असलियतको पा जाते हैं ! वस्तुतः म० बुद्धका उद्देश्य आवश्यक सुधारको सिरननेका था । इसलिये प्रारम्भमें उनका कोई नियमित धर्म नहीं था और न उन्होंने किसी व्यवस्थित धर्मका प्रतिपादन किया था, किन्तु अपने सुधारक्रममें उन्होंने आवश्यक्तानुसार जिन सिद्धान्तोंको स्वीकार किया था, उनका किचित दिग्दर्शन हम यहां करेंगे। सर्व प्रथम उनके धर्मके विषयमें पूंछते ही हमें बतलाया जाता है कि "वह प्रकृतिके नियमोंको बतलाता है, मनुष्यका शरीर नाशक. नियमके पल्ले पड़ता है; यही बुद्धका अनित्यवाद है। जो कुछ अस्तित्वमें आता है उसका नाश होना अवश्यम्भावी है।"* भगवान महावीरने भी धर्मका वास्तविक रूप वस्तुओंका प्राकृतिक स्वरूप ही 1 की 'बुदिस्टफिलोसफी पृ. ६९-७०.
SR No.010165
Book TitleBhagavana Mahavira aur Mahatma Buddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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