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- और म० वुद्ध ]
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बुद्धका परिनिव्वान ईसासे पूर्व ५४३ वर्षमें घटित हुआ था ।बौद्धोंकी इस मानताको लेकर विशेष गवेषणाके साथ आधुनिक विद्वानोने इसका शुद्धरूप ईसासे पूर्व ४८० वां वर्ष बतलाया है, किन्तु खण्डगिरिकी हाथीगुफासे जो सम्राट् खारवेलका शिलालेख मिला है उससे बौद्धोंकी उक्त मानताका पूरा समर्थन होता है ! * इस दशामें भगवान् महावीरका निर्वाणकाल ईसासे पूर्व ५४५ वर्ष पूर्व मानने से और म० बुद्धका परिनिव्वान ईसासे पहिले ५४३ वें वर्षमे हुआ स्वीकार करनेसे, हमारे उक्त जीवनसम्बन्ध निर्णयसे प्रायः सामञ्जस्य ही बैठ जाता है । क्योंकि स्वयं बौद्धोके कथनसे श्रमाणित है कि म० बुद्ध भगवान महावीरके पहले ही अपनेको स्वयं बुद्ध मानकर उपदेश देने लगे थे । 'संयुक्त निकाय ' में (भाग ११-६८) में स्पष्ट कहा है कि बुद्ध अपनेको 'सम्मा बुद्ध' कैसे कहने लगे जब निगथ नातपुत्त अपनेको वैसे नहीं कहते हैं। इससे स्पष्ट है कि हमारी पूर्वोक्त मान्यता के अनुसार म० बुद्ध भगवान महावीर के धर्मोपदेश देनेके पहले ही उपदेश देने लगे थे और इसतरह पूर्वोल्लिखित पारस्परिक संबंध ठीक ही है । हाँ, एक दो वर्षका अन्तर गणनाकी अशुद्धिके कारण रहा कहा जासक्ता है । अतएव आजकल भगवान महावीरका निर्वाण संवत् २४७१ वर्ष मानना विशेष युक्तिसंगत है।
'हिन्दी विश्वकोष ' के निम्न कथनसे भी यही प्रमाणित है ।
१ भारतक प्राचीन गजवश भाग २ पृष्ठ ३४ २ इन्डियन ऐन्ट' क्वेरी XLVIII 25 ff, 214 ff & 29 ff and XLIX 48 ff at JBORS. IV. 364 ff.; V. 88 ff.