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[ भगवान महायोर
वहाँके राना जीवंधरने दीक्षा गृहण की थी। तथापि निससमय भगवान सर्व प्रथम रानगृह नगर आये थे, उस समय वेदपारागत
विद्वान इन्द्रभूति गौतम उनके साथ थे। इनके अतिरिक्त और ___ बहुतसे ब्राह्मण और क्षत्री रानपुत्र तथा यणक सेठ आदि भगवानके बिहार और धर्मप्रचारसे प्रबुद्ध हुए थे। राजकुमार अभय, शतवाहन
आदि मुनिधर्ममें लोन हुए थे । ज्येष्टा, चन्दना सदृश रानकुमारिया भी आर्यिका हुई थी । रानगृहके सेठ शालिभद्र, धन्यकुमार, प्रीतकर आदि महानुभाव वणि नेसे परम पुरुषार्थक अभ्यासी हुए थे । अन्तमे धर्मप्रचार करते हुए भगवान पावापुर पहुंचे थे और वहीमे उन्टोने मोक्षलाग लिय ।
नोट-कुछ लोगो का म्थ्य ला कि भगवान महावीरवा धर्म भारतमे ही सीमित रहा था परन्तु यह उनका कोरा ख्याल ही है। अन्धपोने बत्ला दिया है कि नमुनि यूनान, रूम और ना जैसे सुदूर देशोंमें धर्मप्रच येन थे। (देखो भगगन महावीर पृ. ७) अकीबारे नये गा प्रदेशमें यूनानियोको गमुनि (Gymooltaic) मि ऐशय टिक रिसर्चेन भाग ३ पृ० ६) यूनानमें आनतकनगुनिका समाधिस्थान हाकी राजधानी अथेन्समे त्रः ।हमनमुनि श्रमणाचा नामक थे और भृगुकम्छसे गये थे। . न हन्टॉरीकल क्वार्ट भाग २ पृ. २९३) मध्यऐ गया । नवला हुआ था, यह भी प्राट है। (डुबोई. डिम्बी. करेन आफ इडियन पोपुल,
i. उत्त'पुःन पृष् ५, २ नपार (BLI पृष्ठ i०८