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गगन महागोर. गद फिर ना वह राजाह भाये तब गंगा बात करनेपर उन्होंने 'पी' गाने चि भिक्षुओरो एकानगर ठहरने का नियम बनगरा।' यह नियम दिवस मिनुभो हाग पहिले ही वीरत था | उरान्त अन्यापिनमें जर मा बुह थे तब उनके साथ १९६० शिशु थे। फिा व आपनसे दुमीताराशे वे गये तो उनके साथ केवल २५० रिक्षु र गरे थे।' यहामे जब आतम तो हुथे वे श्रार ती पहुचे. नत्र भिक्षुओ परम्पर मत भेद और
गद खडा हो गया था और निम समारोगाम्बी में मौजूद थे, उम समा उनके झगडेने विकटरूप धरण पर लिया था। यहातक कि म बुद्ध के समझाने पर भी वे न माने. और उनसे सप्ट कर देश कि ' आप शातिमे अपने प्रत सुखका उपभोग कीनिये । हम लोग अपने आप निबट लगे !''म० युद्ध इनसे भला बुरा कहकर पालम्लोइम्गामको चले गये। यहांपर एक चागवानने बगीचे में जानेमे उनसे टोका था। फिर म० बुद्ध परिय्यक और श्रावस्तीको गये थे। अन्तिम 'सा' उन्होंने वैगालीके निकट अवस्थित वेलुरमें विताई थी और अन्ततः कुसीनारामें वह प्राप्त हुये थे। वेलुबमें कोई कठिन रोगसे वे पीड़ित हुये थे। उम रोगको उन्होंने अपने योगवलसे शमन किया था । इन रोगमे मुक्त होकर जब वे कुसीनारारो ना रहे थे, तो मार्गमें
१. पूर्व ( २) पृष्ट ०९८ २. महावग्ग (. B E VI. 25 2 ) भ ग र पृष्ट १०. ३ पूर्ण (VI 36 ) पृष्ठ १२५ * पू (VI 39) पृष्ठ १४, ५. पू( 23) पृष्ठ २९३ .. ६. पूर्व (x 47 ) पृष्ठ ३१३. . बुद्धिस्टकृत (S. B. LXI ) पृष्ठ ३४.