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________________ -और म० बुद्ध ] [९१ म० बुद्धने बोधिवृक्षसे चलकर सर्व प्रथम बनारसमें उपदेश दिया था । और फिर वे क्रमशः उरुवेला, गयासीप्त, राजगृह, कपिलवस्तु, श्रावस्ती, राजगृह, कोदनावत्थु, राजगृह, श्रावाती, राजगृह, बनारस, भदिय, श्रावस्ती, राजगृह, श्रावस्ती, राजगृह, बनारस, अन्धकबिन्दु, राजगृह, पाटलिगाम, कोटिगाम, नातिका, आपन, कुसीनारा, आतूम, श्रावस्ती, राजगृह, दक्षिणागिरि, वैशाली, बनारस, श्रावस्ती, चम्पा, कोशाम्बी, पारिलेय्यक, श्रावस्ती, बालकालोन्करगाम, वेलुव, कुसीनारामें विचरते रहे थे। बनारसमें ही उन्होंने शिष्योंको 'उपसपदा' देने-शिष्य बनानेकी आज्ञा दे दी थी। गयासीसमें जब मौजूद थे तब उनके शिष्योरी संख्या एक हजार थी। पहिले ही राजगृहमे जब पहुचे तब सजयके शिप्य सारीपुत्त और मौद्गलायन उनके मतमें दीक्षित हुये । इनके विषयमें हम पहिले ही लिख चुके है । इसके बाद ही उन्होने ' उपाध्याय ' और 'आचार्य' पद नियुक्त किये परन्तु इन दोनोके कर्तव्य एक थे। यह एव अन्य क्रियायें म० बुद्धने अन्य मतोमें प्रचलित रीतियोके प्रभावानुसार स्वीकृत की थीं। इसी समय उन्होंने शाक्यवंशी व्यक्तियोके लिये खास रियायत करनेका भी आदेश दिया था। फिर द्वितीय बार जब श्रावस्तीसे वे रानगृह आये तो राजा श्रेणिक बिम्बसारके आग्रहसे 'तित्थियों की भांति अष्टमी, चतुर्दशी और पूर्णमासीके दिनोपर एकत्रित होकर उपदेश देनेका आदेश भिक्षुओंको दिया। इसके १. महावग्ग (S. BF.) में जिस प्रकार यह विवरण दिया है वैसे ही यहां पर दिया गया है। २. महावग्ग (S BE) पृष्ठ १३४. ३ पूर्व पृष्ठ १५० और १७८. ४. पूर्व पृष्ठ १९१. ५. महाग (S. B. B.) पृष्ठ २४०.
SR No.010165
Book TitleBhagavana Mahavira aur Mahatma Buddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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