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- ओर म वुद्र ]
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और सारे दुःखका विनाश होगा | उस समे इन सहमा है । "
( मज्झिम २/२१४ )
स्वीकार किया गया है ।
इस उद्धरण में स्पष्ट रीतिसे भगा मानोरी सर्वज्ञना और उनके द्वारा प्रतिपादिन धर्मसिद्धान्त वास्तव में भगवान महावीरने इन्हीं बातो उपदेश दिया था, जिला उल्लेख उक्त उद्धरणने है । इये यह भी प्रत्यक्ष है कि आज जो धर्म प्राप्त है वह मूलमे वहीं है जिसका प्रतिपादन भगवान महावीर ने किया था । हा, उसके बह्यभेपने अन्तर पड़ा हो तो कोई वि मय नहीं ।
भगवान महावीर की सर्वझत के सब मे आजकल के विद्वान् भी हमारे उपरोक्त कथनका म थे. करने है । डॉ० विमलचरण लॉ I एम० ए०, पी० एच० डी० अदि बौद्ध प्रथो के सहारेसे लिखते 'है कि ' वे भगवान सर्वज, सर्वदर्शी, अनन्त वेवलज्ञानके धारी, चलते - ने सोने-जागते सब समय सर्वज्ञ थे । वे जानते थे कि किमने किस प्रकारका पाप किया है और किमने पाप नहीं किया है । वे प्रख्यात् ज्ञात्रिक महावीर अपने दप्योके पूर्वभव मी बता सक्त थे । ' आप ही बौद्धोके ' रुयुक्त निकाय ' में लिखा बतलाने है कि 'जात्रि क्षत्रिय महावी• बहुत ही होशियार और परम विद्वान्, एक दातार पुरुष, चतुप्रेसर से इन्द्रियनिग्रह में दत्तचित्त और स्वयं देखी सुनी वस्तुओ को बतलानेवाले थे । जनता उनको बहुत ही पूज्यदृष्टिसे देखती थी । + एक अन्य विद्वान्, बौद्धोंके
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१ जैन सूत्रं (S. B. E ) भाग २ भूमिका पृष्ठ १५ सम क्षत्रिय टूइन्स आफ ऐन्तियेन्ट इन्ड पृ० १०८ + पूर्व पृ० १२.