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( ३४४ ) *पालभिका-नगरी राजगह से बनारस जाते हुये बीच में पड़ती थी। श्वेताम्बरीय मत है कि यहां पर भ० महावीर ने पोग्गल परिव्राजक को श्रमण शिष्य बनाया था।
इलोरा-प्राचीन इलापुर है। निजाम राज्य में दौलताबाद स्टेशन से १२ मील है। दर्शनीय गुफा मंदिर हैं, जिनमें भ० महावीर की कई मूर्तियां बनी हुई हैं।
उजन-प्राचीन उज्जयिनी है, जो मालव देश की राजधानी थी। यहां के अतिमुक्तक नामक स्मशान में वीर भगवान पर उपसर्ग हुआ था। इस स्थान का पता लगाकर प्रसिद्ध करना चाहिये। ___ एक जंब चैत्य-उल्ल कातीर नगर का उद्यान था। श्वेतान्वर शास्त्र कहते हैं कि यहां भ० महावीर का ममवशरण हुआ था।
एहोले-बीजापुर जिले में प्राचीन आर्यपुर है। यहाँ सन् ६३४ में लेन कवि रविकीर्ति ने भ० महावीर का मन्दिर निर्माण कराया था। यहाँ श्री महावीर स्वामी की प्राचीन प्रतिमायें अब भी मिलती हैं। चालक्य नरेश पुलकेशि सत्याश्रय में रविकीर्ति ने सम्मान पाया था २
अोरिया--अचलगढ़ (श्राव) के निकट अवस्थित है। उमे फनन्बल तीर्थ कहते हैं-यहाँ महावीर न्वामी का मन्दिर दे १३
म निनद वाले स्थानों का पठा नहीं है-वे अक्षात इनका रस श्री कश्याप विजय की पुस्तकानुमार लिया गया।
मा. स्मा. १. १५४ २. प्रा स्मा०, ५.१ ५. पूर्व०६. 335