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कनकपुर--श्वेताम्बरीय मत है कि यहाँ वीर-समवशरण दो दफा हुआ था।
कम्पिला--(फरुखाबाद जिला) प्रसिद्ध जैनतीर्थ है। यहाँ भी भ० महावीर का समोशरण आया था। इसका प्राचीन नाम कास्पिल्य है। यह द्रपद राजा की राजधानी और तीर्थकर विमलनाथकी जन्म नगरी थी। कायमगंज स्टेशन से जाते है।
कर्ण-सुवर्ण-मुर्शिदाबाद जिला में भागीरथी के दक्षिण तट पर अवस्थित था। आजकल इसे कानसोना कहते हैं। भगवान् महावीर का यहाँ शुभागमन हुआ था-तब इसे कोटि वर्ष कहते
थे।
काकन्दी-सम्भवतः वर्तमान गोरग्वपुर जिले का खुखुन्दो ग्राम है। नवमें तीर्थंकर श्री पुष्पदन्तजी का जन्मस्थान किष्कि न्धापुर भी इसे कहा जाता है। महावीर स्वामी यहाँ कई बार पधारे थे। दि० जैन मन्दिर में भ० महावीर की प्राचीन मूर्ति स्थापित है, जिसे युगवीर कहते हैं । इस स्थान की प्रसिद्धि तीर्थरूप में है।
कुण्डग्राम में भ० महावीर का जन्म हुआ था। यह वैशाली के निकट था। आजकल का वसुकुण्ड ग्राम ( मुजफ्फरपुर जिला) ही प्राचीन कुण्ड ग्राम है। यहाँ शोध करके तीर्थ की स्थापना होनी चाहिए।२ छपरा के भाइयों ने कार्यारंभ किया है।
कुण्डलपुर-मध्यप्रान्त के दमोह जिले में है । इस पर्वत पर ५२ जिनालय हैं। यहाँ श्री महावीर स्वामी की वृहत् मूर्ति अति मनोज्ञ १२ फीट ऊँची है। राजा छत्रसाल के समय में इस मन्दिर का जीर्णोद्धार हुआ था। पहाड़ी के सरोवर को 'वर्द्धमान १. सं०मा००स्मा०, पृ० ८ २. चं०वि० प्रो००स्मा०, पृ. २३-२५