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है कि भ० महावीर का निर्वाण म० गौतम बुद्ध के जीवनकाल मे हुआ था । उस समय श्रेणिक विम्बसार स्वर्गवासी हो चुके थे | और अजात शत्रु कुणिक मगध के राज सिंहासन पर आसीन थे । वीर निर्वाण के पश्चात् जब इन्द्रभूति गौनस गणधर राजगृह पहुँचे, तब अजात शत्र राजा था और वह उनकी शरण में आकर श्रावक हुआ था । अतएव यह मानना अधिक सुरक्षित है कि सम्राट् कुणिक अजातशत्रु के राज्यसिंहासनारूढ़ होने के चार छै वर्ष मे भ० महावीर का निर्वाण हुआ था । उस समय म० गौतम बुद्ध जीवित थे । हाल मे श्री गोविन्द पैइ ने बौद्ध ग्रन्थों के आधार से भी यही सिद्ध किया है कि ईस्वी पूर्व ५०१ से पहले ही म० गौतम बुद्ध के जीवन काज मे वीर निर्वाण की पुनीत घटना घटित हुई थी । उनके मतानुसार भ० महावीर का जन्म सोमवार के दिन २७ फरवरी (चैत्र शुक्ला त्रयोदशी ) ई० पूर्व ५६८ को हुआ था और निर्माण कार्तिक कृष्णा अमावस्या को सोमवार की रात के अन्तिम पहर (१३ सितम्बर) के समय अथवा मंगलवार की पौ फटते ही १४ सितम्बर ई० पूर्व ५२७ को घटित हुआ था । उनका यह मत प्रचलित वीर निर्वाण संवत् के अनुरूप है |
(५) शकाब्द से ७४१ वर्ष पहले भगवान का निर्वाण हुआ । इस मत का प्रतिपादन दक्षिण भारत के १८ वीं शती के कतिपय शिजालेखों में हुआ है । यह मत विक्रम से ६०१ वर्ष पूर्व वीर निर्वाण मानने की गलती का ऋणी है ।
भ० महावीर स्मृति ग्रन्थ श्रागरा पृ० १०-१००