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ई० पूर्व ५२७ मे वीर निर्वाण मानते हैं, परन्तु पहले दो प्रमाणों मे स्पष्ट कहा गया है कि विक्रम के जन्म से ४७० वर्ष पहले वीर स्वामी का निर्वाण हुआ था - इसी कारण विक्रम के राज्यारोहण काल के १८ वर्ष मिलाने से विक्रमाब्द से ४ वर्ष पूर्व वीर निर्वाण सानना उपयुक्त है । श्री वसुनन्दि श्रावकाचार में विक्रम सं० ४८८ वर्ष पूर्व महावीर स्वामी के निर्वाण का उल्लेख है । इस अवस्था में ई० पू० ५४५ मे वीर निर्वाण प्रमाति होता है | इस प्रकार वीर निर्वाण की ठीक तिथि का पता पा लेना सुगम नहीं है । केवल यह दो मत ही नहीं हैं, बल्कि आधुनिक विद्वानों के और भी कई मत हैं, जिनका निर्सन अन्यत्र किया गया है । ऐसी अवस्था में केवल यह निश्चित
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६. हमने "भ० मद्दात्रीर का समय" नामक ट्रेक्ट (बिजनौर १९३२) इन मतों का खंडन किया है । वे यह हैं:
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(१) शक राजा के उत्पन्न होने से ४६१ वर्ष पहले वोर निर्वाण हुना था । (त्रिलोक प्रज्ञप्ति देखो ) साधारणतया शकराजा से मात्र प्राकसवत् प्रवर्त्तक का लिया जाता है, परन्तु यह ठीक नहीं | यह शकराज छत्रप नहपान था ।
(२) शकराजा से ६०५ वर्ष १ महीने पहले घोर निर्वाण हुआ था । (त्रिलोकसार) यह शकारि शालिवाहन (गौतमीपुत्र गावकर्णी) है। (२) ई० पूर्व ४६८ वर्ष पहले महावीर स्वामी मुक्त हुये थे । यह मत प्रो० जालं कार्पेन्टियर का है। उन्होंने विक्रम से ६०१ वर्ष पहले वीर निर्वाण मानने की गलती की है।
(४) विक्रम मे ५५० वर्ष पहले वीर प्रभू मोठ गये थे । यह मान्यता पं० नाथूरामजी प्रेमी की है, परन्तु इसके लिये यह प्रमाणित होना थावश्यक है कि विक्रमान्द विक्रम की मृत्यु से प्रचलित है। श्री देनपेन और अमितगविजी के दम पर्याप्त हैं ।