________________
(२८) भ० महावीर और म० गौतम बुद्ध 'सिरि पासणाहतित्थे सरयतीर पलासणयरत्थो । पिहियासबस्स सिम्मो महामुदो बुढकित्तिमुणी ॥६॥ तिमिपूरणासणेहि अहिगयपवजाओ परिभट्टो । रत्तंवरं धरित्ता पट्टियं तेण एयंतं ॥७॥ मंसस्स णस्थि जीवो जहा फले दहिय दुद्ध-सक्करए । तम्हा तं वंछित्ता तं भक्तो णा पाविट्टो॥८॥ मज्जं ण बजणिज्ज दवदव्वं जह जलं तहा एदं । इदिलोए घोसित्तो पट्टियं सव्व सावज्जं ॥६॥ अण्णो करेदि कम्मं अण्णो तं भुजदीदि सिट्टतं । परि कप्पिऊणं णूणं बसिकिच्चा णिरयमुववरणो ॥१०॥
-दर्शनसार भ० महावीर के समकालीन प्रसिद्ध पुरुषों मे शाक्य श्रमण गौतम बुद्ध का नाम उल्लेखनीय है । जैन प्रसग में वह इसलिये और भी महत्व का है कि कहीं २ लोग गौतम वह को भगवान महावीर से अभिन्न समझते हैं और जैन धर्म को वौद्धधर्म की ही शाखा समझने की गलती करते हैं । निस्सन्देह आज दुनिया में बौद्ध धर्मानुयायियों की संख्या अत्यधिक होने से म० गौतमबुद्ध