________________
( १६५ ) ईसाई मत में पुरुष ही नहीं स्त्री भी दिगम्बर भेष में रही हैं। ३ सम्राट् श्रेणिक दि० जैन मुनियों की विनय करते थे और उनके द्वारा लोकोपकार के कार्य को सुगम बनाते थे। जैन शास्त्रों में उनके विशेष कार्यों के उल्लेख भरे पड़े हैं। वह स्वयं ही क्षायिक सम्यक्त्वी हुये और उनके कई पुत्र भ० महावीर के निकट मुनि हो गये। अपनी प्रशंसनीय धर्म प्रभावना से अर्जित विशेष पुण्य के फलस्वरूप, श्रेणिक आगामी काल मे पद्मनाभ नामक प्रथम तीर्थकर होंगे।
"मस्त बोला, महसव ! कर काम जा, ____ होगा क्या नंगे से तू अहदे बर आ ! है नजर धोवी पै जामा पोश की,
है तसल्ली जेवर अरयां तनी । या विरहनों से हो यकसू वाकई,
या हो उनकी तरह बेजामै अखी ! मुतलकन अरियां जो हो सकता नहीं,
___ कपड़े कम कर कि है औसत के करीन !" ३. बाईबल में लिखा है कि "उसने कपड़े उतार डाले और इसी ढंग
में सैम्युल के सामने उपदेश दिया तथा उस दिन और रात भर वह नंगा रहा। इस पर उन्होंने कहा कि क्या साल भी पैगम्बरों में है।"-सैम्युल १६२४
"ईसाइहा नंगा और नगे पैरों विचरा ।' ईसाइदा २०१२ मिश्र देश में सेंटमेरी ने नगे होकर तपस्या की थी। ईसाई सन्त नंगे रहते थे। (The Ascension of Isaiah, p. 32 )
मि० चर्चिल ने म. गांधी को नङ्गा फकीर कहा, तो उसके उत्तर में म. गांधी ने बताया कि वह नहा फकोर होने की इच्छा रखते हैं,