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( १८ ) प्रकाश सहवाधिक सूर्यप्रकाश को भी लजित करता था! लोक ने इस लोकोत्तर विजय पर आनन्दोत्सव मनाया! स्वर्ग के देवता और नरलोक के नरपति त्रिलोकीनाथ जिनेन्द्र महावीर के दर्शन करने को उमड़ आये। वह अवसर ही था अलौकिक ! जम्भक ग्राम का सौभाग्य चमक उठा!x
निस्सन्देह केवलज्ञान प्राप्त करना अथवा सर्वज्ञ होना मनुष्य जीवन में एक अनुपम और अद्वितीय घटना है । उस घटना के महत्व को सामान्य वृद्धि शायद न भी सममे, परंतु जो विवेकी है - तत्वदर्शी हैं, वे उसके मूल्य को ठीक कित है ! दुनियाँ को वस्तुस्थिति का प्रत्यक्ष ज्ञाता-दृष्टा, मनुष्य ही नहीं, प्राणीजगत के त्रिकालवी अनभवों और जीवन की गतिविधियों का जानकार और सर्वोपरि मानवी ऐहिक और पारलौकिक जीवन को स्वर्ण जीवन में परिणत करा देने वाला पथप्रदर्शक मिलना महान् सौभाग्य का फल है। इसका अर्थ होता है, दुनिया में ज्ञान प्रकाश का साम्राज्य फैलना और सुख___xदि.जैन शाखों में जन्मकग्राम मगघदेश के अन्तर्गत बताया है। उघर खेताम्बर बैन शास्त्र उसे वा, देश में स्थिर करते हैं। बात देश का वह बज्नममि भाग जहाँ बुकूजा के तट पर भगवान् को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई, वर्तमान के विद्यार-प्रोडीया पान्त के अन्तर्गत है। वर्तमान खोज से वह स्थान सम्मेद शिखर से २५.३० मील दूर वर्तमान के नरिया नगर के निकट होना अनुमानित किया गया है। हरिया जन्मक है और वाराकर नदी ऋजकूजा नदी है- यह वात पुष्ट सानी से प्रमाणित होना चाहिये । म्हरिया के प्रामपाल के पुरातत्व की खोन द्वारा केववज्ञान स्थान निर्णीत होना चाहिये। मुस्बिमकाज में बैनी उस स्थान को यात्रा करते थे, ऐसे उल्लेख मिटे हैं। पर उसका ठीक पता गाना मावश्यक है।
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