________________
( १ )
यित हैं ! नन्दन ! हम तुम्हें देखकर फूली अङ्ग नहीं समातीं, किन्तु हमारी एक साध है - पुत्रत्व की भावना हमे वाध्य कर रही है कि हम तुम्हे वधू सहित देखें | बोलो हमारी इच्छा पूरी करोगे !"
कुमार वर्द्धमान यह सुनकर मुस्करा दिये और बोले, "मॉ यह तुम्हारी मसता का प्रदर्शनमात्र है । परन्तु माँ, तुमने दुनियां की ओर आँख पसार कर नहीं देखा - दुनियॉ कैसी दुखी है ? शीलधर्म की कैसी छीछा लेदर हो रही है ? वानप्रस्थी सन्यासी भी रमणी के मोहपाश से अपने को नहीं बचा पाये है- उनकी भी पत्नियाँ हैं ! मॉ, लोक कल्याण के लिये धर्म- तीर्थ की पुनस्थापना अत्यन्तावश्यक है । मैं विलम्ब कैसे करूँ ?”
वह यह भी बताते हैं कि महावीर जी के माता-पिता ने उनको दीक्षा ग्रहण करने से रोका था; बुद्ध के सम्बन्ध में भी यही कहा जाता है । श्वेताम्बरों का मत है कि भ० महावीर की गृहस्थ अवस्था में ही उन के माता-पिता का स्वर्गवास हो गया था और उनके ज्येष्ट भ्राता मन्दिवर्द्धन राज्याधिकारी हुये थे । बौद्धग्रंथों में भी लिखा है कि सिद्धार्थ गौतम की माता जन्मतेही स्वर्गवासी हुई थीं और उनके नन्द नाम के भाई थे ( साम्स०, पृ० १२६ ) म० बुद्ध 'सम्बोधि ' प्राप्त कर लेने के पश्चात् भी कवलाहार करते थे । ( महावग्ग SBE पृ० ८२ ) भ० महावीर के विषय में भी श्वेताम्बरीय शास्त्र यही कहते हैं । म० बुन्छ के जीवन में उनके भिक्षुसंघ में मतभेद खडा हुआ था । ( महावग्ग ८) श्वेताम्बर भी कहते हैं कि भ० महावीर के जमाई जामालि ने उनके विरुद्ध एक असफल विद्रोह किया था । इसी प्रकार के सादृश्य श्वे. मान्यता को शकापूर्ण बना में दिगम्बर जैनों की मान्यता समीचीन विदित ठीक है कि महावीर जी बाल ब्रह्मचारी थे ।
देते हैं । इस दशा होती है और यह