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[२६] 'निमित्त-दोष' वाला पाहार ग्रहण करना भी निषिद्ध है, वहां मांसा हार की बात मानना तो दुस्साहस ही है।
(६) 'भन्ने भन्ने शब्द 'कुक्कुर मंसए' का सर्वनाम है और इसका पर्य है पन्य । 'अन्ने,' 'कवोय-सरीरा' एवं 'कुक्कुड मंसए' तीनों शब्द पुल्लिग में है । पुल्लिङ्ग होने के कारण वे वनस्पति विशेष के ही परिचायक है, 'प्रन्ने' शब्द से यही प्रमाणित होता है।
(७) पारियासिए पारियासिए शब्द बिजौरा पाक का विशेषण है । इसका पर्य होता है प्रषिक पुराना [ अधिक समय का] ___एक दिन की बासी वस्तु के लिये 'पारियासि'' शब्द का प्रयोग नहीं बल्कि 'पज्जुसिए' का प्रयोग होता है । ऐसी स्थिति में यदि यहां किसी भी प्रकार के मांस का उल्लेख होता तो यथानुकूल 'पम्जुसिये' शब्द का प्रयोग होना चाहिये पा किन्तु यहाँ तो मांस का प्रसंग ही ठीक नहीं बैठता, क्यों कि बासी मांस तो रोग की वृद्धि करता है और इसको दाह रोग के निवारणार्थ व्यवहार में लिया जाय यह बात मानी ही नहीं जा सकती। प्रतः 'पारियासिए' का विशेष्य मांस नहीं है यह निर्विवाद कहा जा सकता है।
इस स्थान में 'पत्वि' शब्द के साथ 'उवासडिया' अथवा 'मज्जिए' शब्द प्रयुक्त नहीं हुए हैं। इस कारण वह वस्तु मांस नहीं है वरन् लम्बे समय तक रहने वाली कोई वस्तु है पर्वात् एक प्रकार का पाक है।