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गवान् महावीर द्वारा प्रतिष्ठापित मूल्य
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ो सकते । हम भगवान महावीर के आत्म-विकास के लिए पुरुषार्थ करने के सन्देश को इल कर भिखारी और पामर वन गये हैं। तभी हमारे भारत में थोड़ी बहुत साधना करने हाला भगवान् बन जाता है और हम उसके द्वारा अपना कल्याण या श्रेय सधेगा ऐसा मान र पुरुषार्थ अपनाने के ऐवज में कामनिक भक्ति द्वारा कल्याण की अपेक्षा रखते हैं।
समाज में आज ऐसी स्थिति नहीं है कि कोई भी व्यक्ति नैतिकता से जीवन जी के । समाज में ऐसी स्थिति निर्माण होनी चाहिए कि जो नैतिक जीवन जीना चाहे उसे सुविधा मिले, समाज वैसी प्रेरणा दे सके । ऐसे समाज का निर्माण सत्ता, कानून, दण्ड या 'नयन्त्रण से पा नहीं सकता, उसके लिये हृदय-परिवर्तन, संयम का मार्ग अपनाना होगा। भगवान् महावीर के तत्त्वों को सामाजिक जीवन में प्रतिष्ठित करना होगा । धनवान अपने धन का उपयोग दिखावा, विलास या शोपण के लिए नहीं किन्तु अपने आपको जनता के ट्रस्टी समझ कर जन-कल्याण के लिए करेंगे तभी जिनके पास धन आज नहीं है वे उनके प्रति द्वेष न कर, प्रेम करेंगे । हर व्यक्ति को काम करने, अपने आपका विकास करने का अवकाश मिलेगा। सभी की शक्ति का उपयोग समाज या मानव जाति की भलाई में होगा, तभी समाज का नव-निर्माण भगवान् महावीर के द्वारा प्रस्थापित मूल्यों के आधार पर किया जा सकेगा।
हमारे सम्मुख व्यापक विश्व-कल्याण की दृष्टि न होने से हम छोटी-छोटी बातों में उलझ कर झगड़ पड़ते हैं। आपस के झगड़ों में अनेकान्त का प्रयोग न कर, संसार की समस्या सुलझाने में उसकी क्षमता का बखान करते हैं तो सिवाय उपहास के दूसरा क्या हो सकता है ? हम बहुत ऊंचे-ऊंचे तत्त्वों की बातें तो करते हैं पर क्षुद्र लोकेषणा या व्यक्तिगत अहंकार से प्रेरित होकर आपस में प्रतिस्पर्धा करते हो, वहां कोई विशेष फल निष्पत्ति होगी, ऐसा नहीं लगता ।
५. मेरी दृष्टि से यह अवसर हमारे लिये महान् है । इस अवसर पर भगवान् महावीर के गुणगान करना, उनका व उनके तत्वों का, उपदेश का सम्यक् परिचय कराना, उनके संघ की विशेषताओं को बताना, उत्सव के द्वारा लोगों को आकर्पित करना आदि कार्यक्रम किये जाने चाहिए । पर जब तक उनके गुणों को जीवन में नहीं उतारा जाता तब तक हम उनके सच्चे उपासक है, ऐसा नहीं कहा जा सकता। संभव है हम उनके महान् तत्त्वों को जीवन में उतारने की क्षमता न रखते हों पर उन्हें ठीक समझ कर, उस पर निष्ठा रखें और अपनी क्षमता या शक्ति के अनुसार उन्हें जीवन में उतारने का यत्न करें। यह तो किया ही जा सकता है ।
___ समाज को इस अवसर पर जो करना है वह यह है कि भगवान महावीर द्वारा • कथित मूल्यों के आधार पर ऐसी समाज रचना करनी है जिसमें हर व्यक्ति को अपने पूर्ण 'विकास करने का अवसर मिले । नैतिक, सद्गुणी व स्वाधीन जीवन जीने की समाज में . सविधा हो । ऐसे समाज की रचना का प्रारम्भ व्यक्ति अपने से करके समाज में ऐसे . व्यक्तियों की संख्या बढ़ाता है जिनमें भगवान महावीर के तत्वों के प्रति निष्ठा हो । कुछ व्यक्ति उनके तत्वों का पालन करें, इतना ही काफी नहीं है । भले ही कुछ साधक महावीर
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