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सांस्कृतिक संदर्भ
जनतन्त्र से आगे प्रारणतन्त्र :
महावीर ने जनतन्त्र से भी बढ़कर प्रारणतन्त्र की विचारधारा दी । जनतन्त्र में मानव-न्याय को ही महत्व दिया गया है । कल्याणकारी राज्य का विस्तार मानव के लिए है, समस्त प्राणियों के लिए नहीं । मानव-हित को ध्यान में रखकर जनतन्त्र में अन्य प्राणियों के वध की छट है, पर महावीर के शासन में मानव और अन्य प्राणी में कोई अन्तर नहीं । सवकी आत्मा समान है। इसीलिए महावीर की अहिमा अधिक मूक्ष्म और विस्तृत है, महावीर की करुणा अधिक तरल और व्यापक है । वह प्राणिमात्र के हित की संवाहिका है।
हमें विश्वास है, ज्यों-ज्यों विज्ञान प्रगति करता जायगा, त्यों-त्यों महावीर की विचारधारा अधिकाधिक युगानुकूल बनती जाएगी।