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अपश्चिम तीर्थकर महावीर, भाग-द्वितीय : 287 अनुत्तर ज्ञानचर्या का पंचम वर्ष
संदर्भ 1. क. विपाकसूत्र, अभयदेवसूरि, प्रका श्री सिद्ध क्षेत्रस्थ-मोहन विजय, जैन
पुस्तकालय, पाछियापुरा, वि स. 1976, पत्रांक 115। ख प्रवज्या के विस्तृत विश्लेषण हेतु दृष्टव्य :
पञ्यवस्तुक, लेखक हरिभद्र सूरि, प्रका देवचन्द्र लालभाई, सन् 1927, पत्रांक 1-181
उपासगदशांग, अभयदेववृत्ति, पत्रांक 92-941 घ. उपासगदशांग, आ श्री आत्माराम जी म.सा.,पृ 1611 ङ तीर्थंकर महावीर, युवा श्री मधुकर मुनिजी, पृ. 174-751 क. पन्नवणासूत्त स्तोक मंजूषा, भाग-1, प्रका अगरचद भैरोदान सेठिया, बीकानेर,
तृ सं. 2007, पत्र 121 ख. बौद्ध साहित्य जातक (जातक हिन्दी अनुवाद, भाग-4, पृ 139) दिव्यावदान,
पृ 544, महावस्तु (जौस अनुदित) भाग-3, पृ 204, मे सिन्धु सौवीर
राजधानी 'सेरूवा' (रूख) बतलाई है। 3. भगवती, द्वितीय भाग, अभयेदववृत्ति, 13, 6, वही, पत्रांक 618। 4. क. उत्तराध्ययन, भावविजयगणि, पत्रांक 3811
ख आवश्यकचूर्णि, उतरार्द्ध, पत्रांक 1641 क प्रभावती देवी समणोवासिया, आव चूर्णि पत्रांक 3991 ख. उत्तराध्ययन, नेमिचन्द्र वृत्ति, पत्रांक 253।
ग उत्तराध्ययन, भाव विजयजी वृत्ति, 18,5, पत्राक 3801 6. उद्दायण राया तावस भत्तो, आवश्यक चूर्णि, पत्रांक 3991 7 उत्तराध्ययन, भावविजयजी वृत्ति, 18, 84,383। 8. त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र, वही, पृ. 2511 9. प्रश्न व्याकरण, चतुर्थ अधर्मद्वार, अभयदेववृत्ति, आगमोदय समिति, बम्बई 1819,
पत्रांक 89-901 ___10 क प्रेरणा की दिव्य रेखाएँ, आचार्य श्री नानेश, प्रका. श्री अ भा साधुमार्गी जैन
सघ, बीकानेर, सन् 19791 ख प्रश्नव्याकरण, युवा श्री मधुकर मुनिजी, आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर,
द्वि.स. 1993, पृ 278-79। ग प्रश्नव्याकरण, अभयदेववृत्ति, पत्राक 89-901