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284 : अपश्चिम तीर्थकर महावीर, भाग-द्वितीय अनुत्तर ज्ञानचर्या का तृतीय वर्ष
संदर्भ 1. क. त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र, वही, पृ।
ख श्री महावीर कथा, वही, पृ. 280-821 त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र, वही, सर्ग 8, पृ 171-731 श्री भगवतीसूत्र, द्वितीयो विभाग, अभयदेववृत्ति, वही, पत्रांक 5581 उदयन को विपाकसूत्र में हिमाचल की तरह महान प्रतापी राजा बतलाया है।
विपाकसूत्र, 1,5। 5. भगवतीसूत्र, द्वितीय विभाग, अभयदेवसूरि, वही, पत्रांक 558-61। 6. महावीर कथा, वही, पृ 2851
क. वही, पृ 2851 ख श्रमणभगवान् महावीर, श्री कल्याण विजयजी, पृ 851 ग अन्तगड़ अनुत्तरोववाइयदसाओ, पृ.34 (एन पी वैद्य द्वारा सम्पादित) उद्धृत
भगवान् महावीर एक अनुशीलन, आ. देवेन्द्र मुनि, वही, पृष्ठ 4351 8 तीर्थकर महावीर, लेखक-मधुकर मुनि, पृ. 169, वही। 9. श्री उपासक दशाङसूत्र, आ श्री आत्माराम जी म.सा., प्र.स 1964, प्रका आ
श्री आत्माराम जैन प्रकाशन समिति, लुधियाना, पृ 91 10. क. उपासकदशांग, युवा श्री मिश्रीमल जी महाराज, प्रका श्री आगम प्रकाशन
समिति, ब्यावर, सन 1980, पृ. 5-25, प्रथम अध्ययन। ख द्रष्टव्य :- वैशाली के राजकुमार तीर्थकर वर्धमान महावीर, डॉ. नेमिचंद
जैन, प्रका श्री वीर निर्वाण ग्रन्थ प्रकाशन समिति, इन्दौर, प्र.स 1972, पृ
2161
11. क उपासकदशांग, अभयदेववृत्ति, पत्रांक 10-121 ख गृहस्थधर्म भाग 1,2,आ श्री जवाहर,श्री जवाहर साहित्य प्रकाशन समिति,
भीनासर। 12. उपासकदशांग, अभयदेववृत्ति, पत्रांक 13। 13. वही, पत्रांक 131 14. क जिणधम्मो, 681-861
ख उपासकदशाक, अभयदेववृत्ति, पत्रांक 17-221 15 जिणधम्मो, वही पृ. 621-241 12_16. उपासकदशाग श्री घासीलाल जी, प्रथम अध्ययन।