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अपश्चिम तीर्थकर महावीर, भाग-द्वितीय : 281 158 संगीत श्री मेघकुमार, चन्दनमुनि जी, जैन पुस्तक प्रकाशन समिति, गीदड़
बाहमण्डी पंजाब, प्र.सं. 2029, पृ. 461 159 क ज्ञातधर्मकथाग, वही, पत्रांक 60-71। ख सद्धर्ममण्डन, अनुकम्पाधिकार, आ श्री जवाहर, प्रका. श्री अ भा सा जैन
संघ, बीकानेर, द्वि सं., सन् 1966। अनुकम्पा विचार, ढाल पहली, प्रका धन्नोमल कपूरचंद जौहरी, दिल्ली,
वि स. 1989। 160 क. आवश्यकचूर्णि, पूर्वार्द्ध, पत्र 5591
ख आवश्यकचूर्णि, उत्तरार्द्ध, पत्र 1711 ग त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र, 10,6,408-4391 घ. चतुर महावीर, लेखक-स्वामी सत्यभक्त, प्रका सत्याश्रम वर्धा इतिहास,
संवत, 1944, 133-421 ड हरिभद्रीय आवश्यकवृत्ति, पूर्वार्द्ध पत्रांक 430-311 161 वृहत्कल्पसूत्र, उद्देशक 3, दृष्टव्य-निशीथ सूत्र, उद्देशक-161 162 वृहत्कल्पसूत्र उद्देशक-31 163 दशवेकालिक चूर्णि, जिनदास महत्तर, श्री ऋषभदेवजी केशरीमल जी जैन
श्वेताम्बर संस्था, रतलाम, सन् 1933, पृ 1121 164 क. त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र, वही, पृ. 142-441
ख जैन कथामाला, युवा श्री मधुकरमुनि, अष्टमभाग, वही, पृ.1101
ग. जैन कथाए, भाग-37, पृ 188-951 165 त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र, वही, पृ 145-491 166 त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र, वही, पृ 1501 167 क. वही, पृ 225-261 ख श्रमण महावीर, आचार्य महाप्रज्ञ, जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनू, सन्
2003, पृ 237-421 168 त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र, वही, पृ. 226-31।