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280 : अपश्चिम तीर्थंकर महावीर, भाग-द्वितीय
त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र, पर्व-2, सर्ग 5-71 यक्षमह -
जक्खपिसाय महोरग गंघव्वा साम किंनरा नीला। रक्खस किपुरूसा वि य, धवला, भूया पुणो काला।।
चन्द्रसूरि प्रणीत संग्रहणी गाथा 39, पृ. 109। भूतमह :
उत्तराध्ययन 36/2051 150 व्याख्याप्रज्ञप्ति, शतक 14, 8, अभयदेववृत्ति, प्रका आगमोदय समिति, सन्
1919, पत्रांक 654-551 151 जम्बद्वीपप्रज्ञप्ति, प्रथम वक्षस्कार, पूर्व भाग, प्रका देवचन्दलालभाई जैन
पुरत्तकोद्धार समिति, सन् 1920, पृ. 741 152 क श्रुत्वा तां देशना, भर्तु सम्यक्त्व श्रेणिकोङमयत्।
श्रावकधर्म त्वभयकुमाराद्या प्रपेदिरे।।
त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र 10,6,3761 ख जैन कथामाला, भाग 7-8, वही पृष्ठ 1691
विशेष विवरण हेतु दृष्टव्य :- आगम और त्रिपिटक एक अनुशीलन, पृ 310-181 153.क दशाश्रुतस्कन्ध मूलनियुक्तिचूर्णि, श्रीमणिविजयजी ग्रन्थमाला, भावनगर,
वि स 2011, पत्रांक 881 ख पञ्चाशक, हरिभद्रसूरि, अभयदेववृत्ति, जैन धर्म प्रसारक सभा, भावपुर,
सन् 1912, पत्राक 247-491 154.क. श्रीदशाश्रुतस्कन्ध, श्री घासीलालजी म सा , वही, पृ. 366-4481 ख. मानव अधिकार संहिता (या शांत सुधानिधि), मुद्रक-युनियन प्रिटिंग प्रेस
कम्पनी लिमिटेड, अहमदाबाद, सन 1698, पृ 201 155. समवायाग, अभयदेववृत्ति, आगमोदय समिति, सन् 1918, पत्रांक 158-591 156 क. ज्ञाताधर्मकथांग, अभयदेवसूरि, पत्रांक 97-591 ख. जिनागम कथा सग्रह, सम्पा बेचरदास दोशी, जैन साहित्य प्रकाशन, ट्रस्ट,
अहमदाबाद, द्वि.सं. 1940, पृ 35-38। ग भगवान् महावीर, विराट, पृ 561 घ. जैन धर्म का इतिहास, मुनि सुशील कुमार, प्रका. सम्यक्ज्ञान मंदिर,
कलकत्ता, संवत् 2016, पृ. 731 157. भगवान् महावीर का आध्यात्मिक हित बोध एव हित शिक्षाएं आदि का सकलन,
संकलनकर्ता-आनन्दमल चोरडिया, अजमेर, प्रस. 1974, पृ 40-411