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228 : अपश्चिम तीर्थंकर महावीर, भाग-द्वितीय
चौरासी लाख उत्पलाग का एक उत्पल होता है । चौरासी लाख उत्पल का एक नलिनाग होता है । चौरासी लाख नलिमाग का एक नलिन होता है । चौरासी लाख नलिम का एक अछनिकुराग होता है । चौरासी लाख अछनिकुराग का एक अछनिकुर होता है। चौरासी लाख अच्छनिकुर का एक अयुताग होता है । चौरासी लाख अयुताग का एक अयुत होता है । चौरासी लाख अयुत का एक प्रयुताग होता है। चौरासी लाख प्रयुताग का एक प्रयुत होता है। चौरासी लाख प्रयुत का एक नयुताग होता है । चौरासी लाख नयुताग का एक नयुत होता है। चौरासी लाख नयुत का एक चूलिकाग होता है । चौरासी लाख चूलिकाग का एक चूलिक होता है । चौरासी लाख चूलिका का एक शीर्षप्रहेलिकाग होता है । चौरासी लाख शीर्षप्रहेलिकाग की एक शीर्षप्रहेलिक होता है। गौतम । इतना गणित का विषय है। इसके आगे का औपमिककाल है। गौतम-भगवन् ! औपमिककाल किसे कहते हैं?
भगवान्–औपमिक काल दो तरह का होता है, यथा- पल्योपम और सागरोपम। गौतम-भते । पल्योपम और सागरोपम का क्या स्वरूप है?
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भगवान् गौतम । सुतीक्ष्ण शस्त्र से भी जिसका छेदन-भेदन न किया जा सके, ऐसे परमाणु को केवली भगवान् समस्त प्रमाणों का आदिभूत प्रमाण कहते हैं। अनन्त परमाणुओ का समुदाय एक उत्श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका होता है। आठ उत्श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका की एक श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका होती है । आठ श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका की एक ऊर्ध्वरेणु होती है ।
आठ ऊर्ध्वरेणु की एक त्रसरेणु होती है। आठ त्रसरेणु की एक रथरेणु होती है। आठ रथरेणु का एक बालाग्र होती है । आठ बालाग्र की एक लिक्षा होता है । आठ लिक्षा की एक यूका होती है। आठ यूका का एक यवमध्य होता है ।