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224 : अपश्चिम तीर्थंकर महावीर, भाग-द्वितीय
पहनने योग्य वस्त्र ।
काष्ठ, मिट्टी, तुम्बे के बने पात्र ।
ऊनी वस्त्र ।
. पैर पूजने का वस्त्र, रजोहरण । बैठने योग्य चौकी |
वस्त्र
पात्र
कम्बल
पादप्रोञ्छन
5
6
7
8
9
पीठ
10 फलक
सोने योग्य पाटा |
11 शय्या
ठहरने के लिए मकान आदि । बिछाने के लिए घासादि ।
12.
सस्तारक 13 औषध
एक वस्तु से बनी औषधि ।
14 भेषज
अनेक चीजो के मिश्रण से बनी औषधि ।
इनमे से प्रथम आठ पदार्थ दान दाता एक बार लेने के बाद नहीं लौटाते शेष छ पदार्थ साधु उपयोग मे लेकर पुन लौटा भी देते हैं।
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आवश्यक सूत्र
XXXI यान
शकट, रथ, यान (गाडी), जुग्ग (गोल देश मे प्रसिद्ध दो हाथ प्रमाण चौकोर वेदी से युक्त पालकी जिसे दो आदमी ढोकर ले जाते हैं ।) गिल्ली (हाथी के ऊपर की अबारी जिसमे बैठने से आदमी दिखाई नहीं देता, जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति के अनुसार डोली) थिल्ली (प्लाट देश मे घोडे की जीन को थिल्ली कहते हैं । कहीं दो खच्चरो की गाडी को थिल्ली कहते है) शिबिका (शिखर के आकार की ढकी हुई पालकी) स्यन्दमानी (पुरुष प्रमाण लम्बी पालकी) आदि तात्कालीन यान है।
XXXII अभय का हरण
अभय कुमार का हरण कब हुआ, भगवान् के केवलज्ञान के पश्चात् किस वर्ष मे हुआ, इसका उल्लेख नहीं मिलता। यद्यपि त्रिषष्टिशलाकाकार ने अभय कुमार के हरण का उल्लेख किया है लेकिन वहा काल का कोई उल्लेख नहीं तथापि त्रिषष्टिश्लाकाकार ने जो वर्णन किया है उससे इतना स्पष्ट है कि जिस समय उदयन का हरण हुआ उस समय अभय कुमार का हरण हो चुका था । वत्सराज उदयन का हरण कब हुआ इसके लिए हम महाकवि भास के नाटक प्रतिज्ञा - यौगन्ध रायणम का आश्रय ले सकते है । महाकवि भास के नाटक प्रतिज्ञा–योगन्धरायणम मे उदयन के हरण का वही वृत्तान्त मिलता है जो त्रिषष्टिश्लाकाकार पुरूषकार ने लिखा है। इस नाटक मे भी ऐसा उल्लेख मिलता है कि नकली हाथी बना कर चण्डप्रद्योत ने वत्सराज उदयन का हरण करवाया था । यहा पर उदयन को सहस्रनीक का पौत्र, शतानीक का पुत्र और कौशाम्बी का राजा, गन्धर्व कला का विशारद, वत्सराज बतलाया है । उदयन के हरण के पश्चात राजमाता का विलाप इस बात को द्योतिक