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________________ 6 : अपश्चिम तीर्थकर महावीर, भाग-द्वितीय प्रभु के विराजने से कितना नयनाभिराम लग रहा है। कल-कल की मधुर ध्वनि करने वाला नदी का स्वच्छ नीर अपनी चचल लहरो से अठखेलियाँ करता हुआ सतत पुरुषार्थ की प्रेरणा प्रदान कर रहा है। नदी के समीप पशु-पक्षियो का झुण्ड अपनी तृषा शमित करने के लिए निरन्तर स्वच्छ जल का पान कर विश्रान्ति का अनुभव कर रहे हैं। समीपवर्ती भूमि मे स्थित पेड-पौधे नवीन पल्लवों को धारण कर मानो किसी के आगमन की प्रतीक्षा मे हर्षान्वित हो रहे हैं। आम्रवृक्षो पर आने वाली मजरियो का रसास्वादन कर कोकिल पचम स्वर से मीठी-मीठी वाणी वोल रही है। समीपस्थ खेतो की हलो से कर्षित भूमि पर नव-नवीन अकुर प्रस्फुटित हो गये हैं। हरीतिमा की चादर ओढकर धरती रूपी अभिसारिका' मानो सर्वस्व पाने हेतु समागम को उद्यत है। सर्वत्र हर्ष का वातावरण परिलक्षित हो रहा है। ऐसी बासन्तिक छटाओ से अभिनव शृगारित भूमि पर अद्भुत नजारा दिखलाई दे रहा है। बसत का यौवन चरमोत्कर्ष पर है। भीनी-भीनी महक से दिशाओ-अनुदिशाओ को सुगन्धित करती हुई वासन्तिक-बयारे नवजीवन मे स्फूर्ति प्रदान कर रही हैं। हरीतिमा की चादर ओढकर उसमे मजरियो के झिलमिलाते सितारो को जटित कर प्रकृति नवोढा का रूप धारण कर रही है। ऐसे ऋतुराज मे शालवृक्ष की शीतल छाया तले गोदुह आसन से ध्यान-साधना मे लीन, आत्मशक्तियो को जागृत करने मे सलग्न, भगवान महावीर अपनी भीतरी ऊर्जा का ऊर्ध्वारोहण करने मे सलग्न हैं। इधर भीतरी प्रकाश से भगवान् महावीर अपनी आत्मा को ओतप्रोत करने मे लगे हैं। उधर भुवन भास्कर अपनी चमचमाती मयूखा से वसुन्धरा को पूर्ण प्रकाशमान बनाकर निरन्तर अपनी उज्ज्वल प्रभा विकीर्ण कर रहा है। __ लेकिन दोनो मे विशिष्ट अन्तर दिखलाई दे रहा है। दिनकर तो प्रखर तीक्ष्णता धारण कर शनै -शनै शीतल प्रकाश फैलाता हुआ मन्द ज्योतिपुञ्ज वन रहा है, लेकिन भगवान महावीर तो आत्मज्योति का उज्ज्वल, उज्ज्वलतम प्रकाश पाने मे सफलता के सोपानो पर आरोहण कर रहे हैं। (क) पल्लव- पत्ता (ख) कर्पित-जुती हुई (ग) अमिमारिका-रात्रि-नायिका (च) बयार-हवाएँ (ड) नवोढ़ा-नव-वधू (च) गोदुह आसन-गाय दूरन वाला जैसे बेटता है, वह गादुह आमन (छ) मयूख-किरण
SR No.010153
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2008
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size11 MB
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