SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 168 : अपश्चिम तीर्थकर महावीर, भाग-द्वितीय अनुत्तरज्ञानचर्या का द्वितीय वर्ष टिप्पणी 1 गण्डकी नदी यह नदी हिमालय के सप्तगडकी और धवलगिरिश्रेणि से निकलती है। यह गडक, नारायणी आदि अनेक नामो से प्रसिद्ध है। II देवानंदा देवानन्दा के सन्दर्भ मे दासियो का विवरण औपपातिक सूत्र मे मिलता है, यथा कुबडी-किरात देश की, बौनी-झुकी कमर वाली, बर्बर देश की, बकुश देश की, यूनान देश की, पहलव देश की, इसिन देश की, चारूकिनिक देश की, लासक देश की, लकुश देश की, सिहल देश की, द्रविड देश की, बहल देश की, अरब देश की, पुलिन्द देश की, पकण देश की, मुरूड देश की. शबर देश की, पारस देश की, इस प्रकार विभिन्न देशो की दासियो का वर्णन है। औपपातिक, अभयदेव, पृष्ठ 33-34 m दुपट्टा एक शाटिक वस्त्र जो उत्तर दिशा से डाला जता है, वह उत्तरासन है। यह उत्तर से दक्षिण मे डाला जाता है। औपपातिक, हस्तलिखित, सवत् 1211, सेठिया ग्रन्थालय, बीकानेर, पृ40 IV गर्भ संहरण की घटना आचार्य गुणचन्द्र ने महावीरचरिय मे ऐसा उल्लेख किया है कि भगवान् के गर्भ सहरण की बात इतने समय तक जन साधारण को ज्ञात नही थी। वह इसी समय ज्ञात हुई इसे श्रवण कर देवानन्दा, ऋषभदत्त के साथ-साथ सारी परिषद् आश्चर्यचकित हो गयी।। ___ महावीरचरिय, गुणचन्द्र, वही, अष्टम प्रस्ताव, पृ380 v क्षत्रियकुण्ड मुजफ्फरपुर जिला मे बेसाडपट्टी के पास जो बसुकुण्ड गॉव है, वही महावीर की जन्मभूमि प्राचीन क्षत्रियकुण्डपुर है। vi तात्कालीन वाद्य _ शख, श्रृग, श्रुखिका, खरमुही (काहला) पेया (महती काहला) पिरिपिरिका (कोलिकमुखावमद्धमुख वाद्य) पणव (लघुपहट) पटह भभा (ढक्का) होरम्भ (महाढक्का) भेरी (ढक्काकृति वाद्य) झल्लरी (यह बाये हाथ मे पकडकर दाये हाथ से बजाई जाती हैं) दुन्दुभी (मगल और विजय सूचक होती है तथा देवालयो
SR No.010153
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2008
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy