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अपश्चिम तीर्थकर महावीर, भाग-द्वितीय : 167 जमालि की दीक्षा बहुशाल वन उद्यान मे हुई जो ब्राह्मणकुण्ड और क्षत्रियकुण्ड के मध्य मे था। इसलिए चाहे ब्राह्मणकुण्ड मे दीक्षा कहे या क्षत्रियकुण्ड मे, इसमे कोई विरोध नहीं है।
इस प्रकार जमालि की दीक्षा के पश्चात् विदेह जनपद के ग्राम-नगरो मे विचरण करते हुए, भगवान अनेक भव्यात्माओ को प्रतिबद्ध कर रहे हैं और अनेक भव्यात्माओ का उद्धार करते हुए विदेह जनपद मे विचरण करते हुए द्वितीय वर्षावास हेत वैशाली पधार गये और वहीं अनेक भव्यात्माओ को ससार सागर से तिराते हुए तप-सयम से अपनी आत्मा को भावित करते हुए विचरण करने लगे।