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________________ 140 : अपश्चिम तीर्थंकर महावीर, भाग-द्वितीय xxxv आठ देशो की भाषा निशीथ चूर्णिकार ने भी इन्ही आठ देशो की भाषाओ को देशी भाषा माना है। भरत के नाट्यशास्त्र मे सात भाषाओ का उल्लेख मिलता है- मागधी, आवन्ती, प्राच्या, शौरसेनी, बहिध्का, दक्षिणात्य और अर्धमागधी। xxxVI चौबीस तीर्थंकरों का प्राचीन उल्लेख बौद्धग्रन्थो मे बुद्ध के समकालीन 6 तीर्थकरो का उल्लेख मिलता है। यथा1 पूर्णकाश्यप ___2 मखलि गोशालक 3 अजितकेशकम्बल 4 प्रबुद्ध कात्यायन 5 निगठनाथ पुत्र 6 सजयवेलट्ठि पुत्र दीघनिकाय (हिन्दी अनुवाद) सामञफलसुत्त, पृ 16-22 xxxVII बौद्ध धर्म की पूर्वापरता संबंधी जानकारी पडित सुखलालजी ने अपनी पुस्तक चार तीर्थकर मे बुद्ध को भी पार्श्वनाथ परम्परा का साधक मानते हुए लिखा है “खुद बुद्ध अपने बुद्धत्व के पहले की तपश्चर्या और चर्या का जो वर्णन करते है उसके साथ तत्कालीन निर्गन्थ आचार का जब हम मिलान करते हैं (तुलना-दशवैकालिक 5/1 तथा अध्य 3 और मण्झिमनिकाय महासिहनाद सुत्त) कपिल वस्तु के निर्ग्रन्थ श्रावक वप्पशाक्य का निर्देश सामने रखते हैं तथा बौद्ध पिटको में पाये जाने वाले खास आचार और तत्वज्ञान सम्बन्धी कुछ पारिभाषिक शब्द जो केवल निर्ग्रन्थ प्रवचन मे ही पाये जाते हैं, इन सब पर विचार करते है तो ऐसा मानने मे कोई खास सन्देह नहीं रहता है कि बुद्ध ने, भले ही थोडे समय के लिए हो, पार्श्वनाथ की परपम्रा को स्वीकार किया था। अध्यापक धर्मानन्द कौशाम्बी ने अपनी अन्तिम पुस्तक पार्श्वनाथ चातुर्याम धर्म में अपनी ऐसी ही मान्यता सूचित की है। चार तीर्थकर, पृष्ठ 141-42 xxxVIII श्रेणिक को राजगृह नगरी दूंगा राजा प्रसेनजित एक बार घुडसवारी करके घूमने गया और बिना पानी मूर्च्छित हो गया तब एक यमदण्ड नामक भील ने पानी पिलाया। रात्रि मे अपने घर ले गया, खाना खिलाया तब राजा उसकी पत्री तिलकवती पर मुग्ध बन गया और विवाह की मंगनी की तब यमदण्ड ने कहा कि यदि मेरी लडकी से उत्पन्न पुत्र को राज्य दोगे तब मैं विवाह करूँगा तब प्रसेनजित ने हॉ भर ली तथा यही कारण था कि आगे चलकर श्रेणिक को राज्य की बजाय देश निकाला देना पड़ा।
SR No.010153
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2008
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size11 MB
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