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________________ 136 : अपश्चिम तीर्थकर महावीर, भाग-द्वितीय 12,11,10,9,8,7,6,5,4,3,2,1 देवलोक, भवनवासी, ज्योतिष्क, व्यन्तर, चक्रवर्ती, वासुदेव, बलदेव, महामण्डलिक अनन्तगुणहीन जानना चाहिये। उससे राजा और सामान्य लोग षट्स्थान पतित जानने चाहिये। आवश्यक, मलयगिरि, पत्राक-307 xxVI गण भगवान् पार्श्वनाथ के आठ गण तथा आठ ही गणधर थे :- 1 शुभ, 2 आर्यघोष, 3 वशिष्ठ, 4 ब्रह्मचारी, 5 सोम, 6 श्रीघृत, 7 वीर्य, 8 भद्रयश। ठाणाग 8, 3 सूत्र 6.7 टीका, समवायाग 8 XxVII धोवन पानी प्रासुक जल को धोवन पानी कहते हैं। यह इक्कीस प्रकार का है - 1 उस्सेइम कठोती आदि का धोय पानी। 2. ससेइम - सब्जी की हॉडी आदि का धोय पानी। 3 चाउलोदक चावलो को धोया पानी। 4 तिलोदग तिलो का धोया पानी। तुसोदग तुषो का पानी। 6 जवोदग जौ का पानी 7 आयाम चावल आदि का पानी। 8 सौवीर छाछ की आछ। 9 सुद्धवियड गर्म किया हुआ पानी। 10 अम्ब पाणग आम धोये हुए का पानी। 11 अम्बाउग पाणग अम्बाउक फलो का धोया पानी। 12. कविट्ठ पाणग कविठ का धोया हुआ पानी। 13 माउलिग पाणग बिजौरा के फलो का धोया हुआ पानी। 14 मुट्टियापाणग दाखो का धोया हुआ पानी। 15 दालिम पाणग अनारो का धोया हुआ पानी। 16 खजूर पाणग खजूरो का धोया हुआ पानी। 17 नालिकेर पाणग - नारियलो का धोया हुआ पानी। 18 करीर पाणग कैरो का धोया हुआ पानी। 19 कोलपाणग बेरो का धोया हुआ पानी। 20 अमलपाणग ऑवलो का धोया हुआ पानी।
SR No.010153
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2008
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size11 MB
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