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________________ अपश्चिम तीर्थकर महावीर, भाग-द्वितीय : 135 12 प्राणायु प्रवाद पूर्व - इसमे 10 प्राण और आयुआदि का भेद प्रभेद पूर्वक विस्तृत वर्णन है। इसमे 1 करोड 56 लाख पद है। 13 क्रिया विशाल पूर्व - इसमे कायिकी, आधिकरणिकी आदि तथा सयम मे उपकारक क्रियाओ का वर्णन है। इसमे 9 करोड पद है। 14 लोक बिन्दुसार पूर्व - लोक मे अर्थात् ससार मे श्रुतज्ञान मे जो शास्त्र बिन्दु की तरह सबसे श्रेष्ठ हैं, वह लोक बिन्दु सार है इसमे साढे 12 करोड पद हैं। पूर्वो में वस्तु – पूर्वो के अध्याय विशेषो को वस्तु कहते हैं। वस्तुओ के आवान्तर अध्यायो को चूलिका वस्तु कहते है। उत्पाद पूर्व मे 10 वस्तु और 4 चूलिका वस्तु है। अग्रायणीय पूर्व मे 14 वस्तु और 12 चूलिकावस्तु हैं। वीर्य प्रवाद मे पूर्व मे 8 वस्तु और 18 चूलिका वस्तु हैं। अस्तिनास्ति प्रवाद पूर्व मे 18 वस्तु और 10 चूलिका वस्तु है। ज्ञान प्रवाद पूर्व मे 12 वस्तु हैं। सत्य प्रवाद पूर्व मे 2 वस्तु है। आत्म प्रवाद पूर्व मे 16 वस्तु हैं। कर्म प्रवाद पूर्व 30 वस्तु है। प्रत्याख्यान पूर्व मे 20, विद्यानुप्रवाद पूर्व मे 15, अवन्ध्य पूर्व मे 12, प्राणायु पर्व मे 13, क्रिया विशाल पूर्व मे 3, लोक बिन्दुसार पूर्व मे 25, चौथे से आगे के पूर्वो मे चूलिका वस्तु नही है। नन्दी सूत्र 57, समवायाग 14वॉ तथा 147वा XXII पूर्व आचार्य जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ने लिखा है कि दृष्टिवाद का अध्ययन - पठन स्त्रियो के लिए वर्ण्य था क्योकि स्त्रिया तुच्छ स्वभाव की होती हैं, उन्हे शीघ्र गर्व आता है। उनकी इन्द्रियाँ चचल होती है। उनकी मेधा शक्ति पुरूषो की अपेक्षा दुर्बल होती है इसलिए अतिशय या चमत्कार युक्त अध्ययन और दृष्टिवाद का ज्ञान उनके लिए नहीं है। विशेषावश्यकभाष्य गाथा-55 की व्याख्या पृ 48 XXIV संघतीर्थ जिसमे तिरा जाये, वह तीर्थ है। जो क्रोध, लोभ ओर कर्ममल को दूर करता है, वह तीर्थ हैं। जिसके सम्यक-ज्ञान, दर्शन ओर चारित्र ये तीन प्रयोजन है, वह तीर्थ है। XV गणधर तीर्थकरो के रूप से गणधरो का रूप अनन्त गुण हीन होता है। गणधरा के रूप से आहारक शरीरी का रूप अनन्तगुणहीन, अनुत्तर देयक
SR No.010153
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2008
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size11 MB
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