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134 : अपश्चिम तीर्थंकर महावीर, भाग-द्वितीय
श्रमण | जिनकी कथनी करनी समान है वे श्रमण । स्वजन और परिजन मे जिनका मन समान है, वे श्रमण। जिनका श्रेष्ठ मन है, वे श्रमण है ।
XXII चौदह पूर्व
तीर्थ का प्रवर्तन करते समय तीर्थकर भगवान् जिस अर्थ का गणधरो को पहले पहल उपदेश देते है अथवा गणधर पहले पहल जिस अर्थ को सूत्र रूप में गूथ है उन्हे पूर्व कहा जाता है पूर्व चौदह है
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उत्पाद पूर्व :- इस पूर्व मे सभी द्रव्य और सभी पर्यायों के उत्पाद को लेकर प्ररूपणा की गई है। उत्पाद पूर्व मे एक करोड पद है। अग्रायणीय पूर्व - इस मे सभी द्रव्य, सभी पर्याय और सभी जीवो के परिमाण का वर्णन है । अग्रायणीय पूर्व मे छयानवे लाख पद हैं। वीर्यप्रवाद पूर्व - इस मे कर्म सहित और बिना कर्म वाले जीव तथा अजीवो के वीर्य (शक्ति) का वर्णन है । वीर्य प्रवाद पूर्व मे 70 लाख पद है ।
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अस्तिनास्ति प्रवाद • ससार मे धर्मास्तिकाय आदि जो वस्तुए विद्यमान है तथा आकाश कुसुम वगैरह जो अविद्यमान है उन सब का वर्णन अस्ति नास्ति प्रवाद मे है। इसमे 60 लाख पद है ।
ज्ञान प्रवाद पूर्व - इसमे मति ज्ञान आदि ज्ञान के 5 भेदो का विस्तृत वर्णन है इसमे कम से कम एक करोड पद है।
सत्य प्रवाद पूर्व - इसमे सत्य रूप सयम या सत्य वचन का विस्तृत वर्णन है। इसमे छ अधिक एक करोड पद है।
आत्म प्रवाद पूर्व - इसमे अनेक नय तथा मतो की अपेक्षा आत्मा का प्रतिपादन किया गया है। इसमे छब्बीस करोड पद है
कर्म प्रवाद पूर्व - जिसमे 8 कर्मो का निरूपण प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश आदि भेदों द्वारा विस्तृत रूप से किया गया है। इसमे एक करोड अस्सी लाख पद हैं।
प्रत्याख्यान प्रवाद पूर्व - इसमे प्रत्याख्यानो का भेद प्रभेद पूर्वक वर्णन है। इसमे चौरासी लाख पद है ।
10 विद्यानुवाद पूर्व - इस पूर्व मे विविध प्रकार की विद्या तथा सिद्धियो का वर्णन है इसमे एक करोड 10 लाख पद हे ।
11 अवन्ध्यपूर्व इसमे ज्ञान, तप सयम आदि शुभ फल वाले तथा प्रमाद आदि अशुभ फल वाले अवन्ध्यपूर्व अर्थात निष्फल न जाने वाले कार्यो का वर्णन है ।