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________________ अपश्चिम तीर्थंकर महावीर, भाग-द्वितीय : 131 शिखर से पूर्व दक्षिण दिशा मे दामोदर नदी आज भी है पर ऋजुबालिका नदी का कोई पता नहीं है। हॉ उक्त दिशा मे आजी नाम की एक बड़ी नदी अवश्य बहती है। यदि इस आजी को ही ऋजुवालिका मान लिया जाये तो बात दूसरी है। एक बात अवश्य विचारणीय है कि आजी एक बड़ी और इसी नाम से प्रसिद्ध प्राचीन नदी है। स्थानाग सूत्र मे गगा की पाच सहायक बडी नदियो मे इसकी “आजी नाम से परिगणना की है। अत आजी को रिजुवालिका का अपभ्रश मानना ठीक नही है। एक बात यह भी है कि आजी अथवा दामोदर नदी से पावा-मध्यमा, जहाँ भगवान् का दूसरा समवसरण हुआ था, लगभग 140 मील दूर पडती है जबकि शास्त्र मे भगवान् के केवलज्ञान के स्थान से मध्यम पावा बारह योजन दूर बतलाई है। आवश्यक चूर्णि के लेखानुसार भगवान् केवली होने के पूर्व चम्पा से जभिय, मिडिय, छम्माणी होते हुए मध्यमा गये थे और मध्यमा से जभियग्राम गये जहा आपको केवलज्ञान हुआ। इस विहार-वर्णन से ज्ञात होता है कि जभिय ग्राम तथा ऋजुबालिका नदी मध्यमा के रास्ते मे चम्पा के निकट कही होनी चाहिए जहाँ से चलकर भगवान् रात भर मे मध्यमा पहुंचे थे। बारह योजन का हिसाब भी इससे ठीक बैठ जाता है। x सूर्य या रवि ठीक मध्याह्न के समय मे सूर्य का तेज प्रखर रहता हे, अत द्रष्टा को उस समय का सूर्य, सूर्योदय और सूर्यास्त की अपेक्षा समान दूरी पर रहते हुए भी दूर दिखाई देता है। यह सूर्य का दूर दिखाई देना लेश्याभिताप के कारण होता है। व्याख्या 8, 8, 331, उद्धृत-लेश्या कोष, वही पृ 32 XI सामर्थ्य 2000 सिहो का बल एक अष्टापद मे 10,00,000 अष्टपदो का बल एक बलदेव मे 2 बलदेवो का बल एक वासुदेव मे 2 वासदेवो का बल एक चक्रवर्ती में 10,00,000 चक्रवर्तियो का बल एक देव मे 10,00,000 देवो का बल एक इन्द्र मे ऐसे अनन्त बलशाली इन्द्र भी भगवान् की छोटी अगुली को नहीं हिला सकते। जैन तत्त्व प्रकाश XII वैक्रिय समुद्घात वेक्रिय रूप बनाते समय आत्मप्रदेश का दण्डादि आकार ने होने वाला अभिसरण वेक्रिय समुद्रघात है। इसके पश्चात् ही उत्तर वेक्रिय शरीर बनता है, जिसको धारण कर देव भूमण्डल पर आते हैं।
SR No.010153
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2008
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size11 MB
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