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130 : अपश्चिम तीर्थंकर महावीर, भाग-द्वितीय
VIII सुधर्मासभा
चमर आदि इन्द्रो के रहने के स्थान, भवन, नगर या विमान इन्द्र - स्थान कहलाते हैं ।
इन्द्र स्थान में पाँच सभाएँ होती हैं 1 सुधर्मा सभा, 2 उपपात सभा, 3 अभिषेक सभा, 4 अलकार सभा, 5 व्यवसाय सभा ।
1 सुधर्मा सभा
जहाँ देवताओ की शय्या होती है, वह सुधर्मा सभा है।
2
3
4
5
उपपात सभा
अभिषेक सभा
अलकार सभा
व्यवसाय सभा
1
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जहाँ जाकर जीव देवता रूप से उत्पन्न होता है, वह उपपात सभा है।
जहाँ इन्द्र का राज्याभिषेक होता है।
जिसमे देवता अलकार पहिनते हैं ।
जिसमे पुस्तके पढकर तत्त्वो का निश्चय किया जाता है, वह व्यवसाय सभा है।
ठाणा 5, उद्देशाक 2, सूत्र 472) उद्घृत जैन सिद्धान्त बोल सग्रह, बोल 397, भाग - प्रथम
IX शय्याएँ
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सूर्याभदेव के वर्णन मे देव शय्या का वर्णन इस प्रकार मिलता है यह शय्या प्रतिपाद, पाद, पाद शीर्षक, गात्र और सधियो से युक्त तथा तूली (रजाई) बिब्बोयणा (उपधान-तकिया) गठोपधान (गालो का तकिया और सालिगन वर्तिक (शरीर प्रमाणत किया) से सम्पन्न थी । इसके दोनो ओर तकिये लगे हुए थे। यह शय्या दोनो ओर से उठी हुई एव बीच मे नीची होने के कारण गम्भीर तथा क्षौम और दुकूल वस्त्रो से आच्छादित थी ।
x ऋजुबालिका
ऋजुबालिका नदी के उत्तर तट पर भगवान् महावीर को केवलज्ञान हुआ था। हजारी बाग जिला मे गिरीडाह के पास बहने वाली बाराकड नदी को ऋजुपालिका अथवा रिजुबालुका कहते हैं । प श्री सोभाग्य विजयजी ने इसके सम्बन्ध मे अपनी तीर्थ माला मे लिखा है कि वहाँ दामोदर नदी बहती है । पर इन उल्लेखो से भगवान् के केवलज्ञान कल्याणक की भूमि का निश्चित पता लगाना कठिन है । आजकल जहाँ सम्मेत शिखर के समीप केवल भूमि बताई जाती हे उसके पास न तो ऋजुवालिका या इससे मिलते-जुलते नाम वाली कोई नदी है और न जभियग्राम या इसके अपभ्रष्ट नाम का कोई गाँव । समनेद