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________________ अपश्चिम तीर्थकर महावीर, भाग-द्वितीय : 127 अनुत्तरज्ञानचर्या का प्रथम वष टिप्पणी I धनोदधि 1 सौधर्म और ईशान कल्प की पृथ्वी धनोदधि के आधार पर, सनत्कुमार, माहेन्द्र और ब्रह्मलोक की पृथ्वी धनवात के आधार पर लातक, शुक्र और सहस्रार की पृथ्वी धनोदधि और धनवात के आधार पर शेष आनतादि से लेकर अनुत्तर तक समग्र देवलोक आकाश प्रतिष्ठित है। 2 सौधर्म व ईशानकल्प की मोटाई 2700 योजन व ऊँचाई 500 योजन है। सनत्कुमार व महेन्द्र कल्प की मोटाई 2600 योजन व ऊँचाई 600 योजन है। ब्रह्मलोक व लातक कल्प की मोटाई 2500 योजन व ऊँचाई 700 योजन है। महाशुक व सहस्रार कल्प की मोटाई 2400 योजन व ऊँचाई 800 योजन है। आणत, प्राणत व अरण व अच्युत कल्प की मोटाई 2300 योजन व ऊँचाई 900 योजन है। नवग्रैवेयक व विमानो कल्प की मोटाई 2200 योजन व ऊँचाई 1000 योजन है। पाच अनुत्तर कल्प की मोटाई 2100 योजन व ऊँचाई 1100 योजन है। वैमानिक उद्देशक (जीवा चतुर्थ प्रतिपत्ति) II सोधर्म देवलोक देवलोक के नाम विमान सख्या सौधर्म कल्प मे 32 लाख ईशान कल्प मे 28 लाख सनत्कुमार कल्प मे 12 लाख महेन्द्र कल्प मे 8 लाख ब्रह्मलोक कल्प मे 4 लाख लान्तक कल्प मे 50,000 महाशुक्र कल्प मे सहस्रार कल्प मे 6000 आणत-प्राणत कल्प मे अरण-अच्युत कल्प मे 300 सुदर्शन ग्रेवेयक सुपभद ग्रैवेयक L मनोरम ग्रेवेयक 40,000 400 111
SR No.010153
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2008
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size11 MB
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