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________________ 114 : अपश्चिम तीर्थकर महावीर, भाग-द्वितीय अभयकुमार "जो आज्ञा" कहकर चल देता है। राजा श्रेणिक के मन मे उथल-पुथल मची है कि आखिरकार चेलना का वह प्रेमी है कौन जिसे वह नीद मे भी स्मरण करती है। यह किससे जानकारी करूँ सहसा राजा श्रेणिक को भगवान् महावीर का स्मरण होता है और चितन करता है कि इन सबका यथोचित समाधान भगवान् के श्रीचरणो मे मिल सकता है। ऐसा सोचकर श्रेणिक राजा भगवान् महावीर के समीप पहुंचा। इधर अभयकुमार ने सोचा-यद्यपि मेरी समस्त माताएँ शील की देवियाँ हैं, लेकिन फिर भी पिता की आज्ञा का पालन करना अनिवार्य है। अत ऐसा करूँ जिससे पित-आज्ञा का पालन भी हो जाये और माताओ के शील की रक्षा भी। यही सोच अभयकुमार ने हाथी बाँधने की जीर्ण शालाओ मे आग लगा दी, जो अन्त पुर के पास थी और उद्घोषणा कर दी कि अन्त पुर जल रहा है। राजा श्रेणिक भगवान के समीप पहुंच चुके हैं। अवसर देखकर प्रभु से प्रश्न करते हैं-भगवन ! चेलना एक पति वाली है या अनेक पति वाली? प्रभु ने फरमाया श्रेणिक ! शीलधर्म का पालन करने वाली चेलना एक पतिवाली है, उस पर सदेह करना व्यर्थ है। तब श्रेणिक राजा दौडता हुआ अपने नगर की ओर जाने लगा। मार्ग मे ही अभयकुमार मिल गया। उसे देखते ही श्रेणिक ने पूछा-अरे | क्या अन्त पुर मे आग लगा दी? अभय-हॉ पिताश्री, मैने आपके आदेश का पालन किया है। श्रेणिक (आवेश में)-अरे माताओ के मर जाने पर तू जिन्दा कैसे है? तू उस आग मे कूदकर क्यो नहीं मरा? अभय-पिताश्री मैंने तो भगवान् के वचनो को जीवन में उतारा है। मैं अकाल मृत्यु नहीं मरूँगा। मुझे तो अवसर आने पर प्रभु की सन्निधि मे सयम अगीकार करना है। श्रेणिक-अरे । यह बहुत बुरा हुआ बहुत खराब हुआ। ऐसा कहते-कहते श्रेणिक मूर्छित हो गया। अभयकुमार ने हवा आदि करके राजा को होश दिलाया और होश आने पर कहा-पिताश्री, मेरी माताएँ अत पुर मे सुरक्षित हैं । यद्यपि आपने उन्हे जलाने की आज्ञा दी थी लेकिन मैंने अन्त पुर मे आग लगाने के बजाय समीपवर्ती जीर्ण हस्तीशालाओ मे आग लगा दी। यह मेरा अपराध हुआ कि मैंने आपकी आज्ञा का पूर्णरूपेण पालन नहीं किया।
SR No.010153
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2008
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size11 MB
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