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तत्काल-नि
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गन्ध
स्पर्श
"] मधुर आम्ल कटु कषाय तिक्त सुगन्ध दुर्गन्ध । नीला पीत शुभ्र काला लाल कोमल कठोर गुरु लघु शीत उष्ण स्निग्ध रूक्ष
तत्त्वार्थसूत्र के अवस्कन्धारच" सूत्र के अनुसार पुद्गल दो प्रकार के हैं एक अणुरूप और दूसरा स्कन्ध रूप । आज के विज्ञान के अनुसार भी पुद्गल अर्थात् मैटर (Matter) के दो ही रूप हैं। मूल रूप अण या परमाणु है। दूसरा रूप परमाणुओं के सम्मिलन से बने विभिन्न रूप हैं।
___ आचार्य कुन्दकुन्द के अनुसार स्कन्ध के तीन रूप होकर तथा परमाणु मिलाकर पद्गल के चार रूप होते हैं। ये हैं. - 1. स्कन्ध, 2. स्कन्धदेश, 3. स्कन्धप्रदेश और 4. परमाणु । अनन्तानन्त परमाणुओं का पिण्ड स्कन्ध कहलाता है, उस स्कन्ध का अर्धभाग स्कन्धदेश और उसका भी अर्धभाग अर्थात् स्कन्ध का चौथाई भाग स्कन्धप्रदेश कहा जाता है तथा जिसका दूसरा भाग नहीं होता उसे परमाणु कहते हैं। यथा -
ख सपलसमत्वं, तस्स दु अषणति देसोति ।
अब च पदेसो परमाणू व अविभागी ।' स्कन्म के प्रकार -
स्कन्ध दो प्रकार के हैं - बादर और सूक्ष्म । बादर स्थूल का पर्यायवाची है। स्थूल अर्थात् जो नेन्द्रिय ग्राह्य हो और सूक्ष्म जो नेत्रेन्द्रिय ग्राह्य न हो। इन दोनों को मिलाकर स्कन्ध के छह भेद स्वीकार किये गये है।
बादर-बादर - (स्थूल-स्थूल) - जो स्कन्ध छिन्न-भिन्न होने पर स्वय न मिल सके, ऐसे ठोस पदार्थ । यथा - लकड़ी, पत्थर, आदि।
बादर - (स्थूल) - जो छिन्न-भिन्न होकर आपस में मिल जाये ऐसे द्रव पदार्थ । यथा - घी, दूध, जल, तेल आदि।
बादर-सूक्ष्म (स्थूल-सूक्ष्म) - जो दिखने में तो स्थूल हों अर्थात् केवल नेत्रेन्द्रिय से ग्राह्य हों, किन्तु पकड़ में न आवें । यथा - छाया, प्रकाश, अन्धकार आदि।
सूक्ष्म-बादर (सूक्ष्म-स्थूल) - जो दिखाई न दें अर्थात् नेत्रेन्द्रिय ग्राह्य न हों, किन्तु अन्य इन्द्रियों स्पर्श, रसना आदि से ग्राह्य हों। जैसे - ताप, ध्वनि, रस, गन्ध, स्पर्श आदि।
सूक्ष्म - स्कन्ध होने पर भी जो सूक्ष्म होने के कारण इन्द्रियों द्वारा ग्रहण न किये जा सकें । जैसे - कर्मवर्गणा आदि। अतिसूक्ष्म - कर्मवर्गणा से भी छोदे दणक (दो अणुओं - दो परमाणुओं वाले) आदि ।
परमाणु सूक्ष्मातिसूक्ष्म है, अविभागी है, शाश्वत है तथा एक है। परमाणु का आदि, मध्य और अन्त वह स्वयं ही है। आचार्य कुन्दकुन्द ने लिखा है - १. वही,5/25 २. पंचास्तिकाय गाथा 75